बड़े ही हर्षोलास से मनाया गया महान जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्मोत्सव The birth anniversary of the great public leader Karpuri Thakur was celebrated with great joy.

आज दिनांक २४/०१/२०२४ को उन्नाव  जनपद के आंबेडकर पार्क में सविता महासभा उत्तर प्रदेश के बैनर तले बड़े ही हर्षोलास के साथ महान जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्मोत्सव मनाया गया। सविता महासभा उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष ने कर्पूरी ठाकुर के जन्मोत्सव पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया, जिसे अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है, में नाई जाति में हुआ था। उनके पिताजी का नाम श्री गोकुल ठाकुर तथा माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। इनके पिता गांव के सीमान्त किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा बाल काटने का काम करते थे।

उन्होंने 1940 में मैट्रिक की परीक्षा पटना विश्‍वविद्यालय से द्वितीय श्रेणी में पास की। 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन छिड़ गया तो उसमें कूद पड़े। परिणामस्वरूप 26 महीने तक भागलपुर के कैंप जेल में जेल-यातना भुगतने के उपरांत 1945 में रिहा हुए। 1948 में आचार्य नरेन्द्रदेव एवं जयप्रकाश नारायण के समाजवादी दल में प्रादेशिक मंत्री बने। सन् 1967 के आम चुनाव में कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में संयुक्त समाजवादी दल (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी) (संसोपा ) बड़ी ताकत के रूप में उभरी। 1970 में उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया। 1973-77 में वे लोकनायक जयप्रकाश के छात्र-आंदोलन से जुड़ गए। 1977 में समस्तीपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने। 24 जून, 1977 को पुनः मुख्यमंत्री बने। फिर 1980 में मध्यावधि चुनाव हुआ तो कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में लोक दल बिहार विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरा और कर्पूरी ठाकुर नेता बने।

कर्पूरी ठाकुर सदैव दलित, शोषित और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए प्रयत्‍नशील रहे और संघर्ष करते रहे। उनका सादा जीवन, सरल स्वभाव, स्पष्‍ट विचार और अदम्य इच्छाशक्ति बरबस ही लोगों को प्रभावित कर लेती थी और लोग उनके विराट व्यक्‍त‌तित्व के प्रति आकर्षित हो जाते थे। बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में उसे प्रगति-पथ पर लाने और विकास को गति देने में उनके अपूर्व योगदान को सदैव स्मरण किया जाएगा।

वही उन्नाव जिलाध्यक्ष अजय शंकर ने कर्पूरी  ठाकुर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि  कर्पूरी  ठाकुर  दूरदर्शी होने के साथ-साथ एक ओजस्वी वक्ता भी थे। आजादी के समय पटना की कृष्णा टॉकीज हॉल में छात्रों की सभा को संबोधित करते हुए एक क्रांतिकारी भाषण दिया कि "हमारे देश की आबादी इतनी अधिक है कि केवल थूक फेंक देने से अंग्रेजी राज बह जाएगा" । इस भाषण के कारण उन्हें दण्ड भी झेलनी पड़ी थी।

वह देशवासियों को सदैव अपने अधिकारों को जानने के लिए जगाते रहे, वह कहते थे-

"संसद के विशेषाधिकार कायम रहें, अक्षुण रहें, आवश्यकतानुसार बढ़ते रहें। परंतु जनता के अधिकार भी। यदि जनता के अधिकार कुचले जायेंगे तो जनता आज-न-कल संसद के विशेषाधिकारओं को चुनौती देगी"

कर्पूरी ठाकुर का चिर परिचित नारा था..

सौ में नब्बे शोषित हैं,शोषितों ने ललकारा है।

धन, धरती और राजपाट में नब्बे भाग हमारा है॥

यह भी-

अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो

पग पग पर अड़ना सीखो

जीना है तो मरना सीखो।

वह जन नायक कहलाते हैं। सरल और सरस हृदय के राजनेता माने जाते थे। सामाजिक रूप से पिछड़ी किन्तु सेवा भाव के महान लक्ष्य को चरितार्थ करती नाई जाति में जन्म लेने वाले इस महानायक ने राजनीति को भी जन सेवा की भावना के साथ जिया। उनकी सेवा भावना के कारण ही उन्हें जन नायक कहा जाता था, वह सदा गरीबों के अधिकार के लिए लड़ते रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पिछड़ों को 12 प्रतिशत आरक्षण दिया मुंगेरी लाल आयोग के तहत् दिए और 1978 में ये आरक्षण दिया था जिसमें 79 जातियां थी। इसमें पिछड़ा वर्ग के 12% और अति पिछड़ा वर्ग के 08% दिया था। उनका जीवन लोगों के लिया आदर्श से कम नहीं।  इस कार्यक्रम में सैकड़ो लोग मौजूद रहे।

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