आखिर कब होगी भ्रष्टाचार में संलिप्त ग्राम प्रधानों की जांच एवं कार्यवाही
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10/25/2023 03:58:00 pm
मामला उन्नाव जिले के विकासखंड सफीपुर की ग्राम पंचायत अंबहरा के पूर्व प्रधान एवम् वर्तमान प्रधान दोनो प्रधानों का नेतृत्व करते है प्रधान संघ के ब्लाक अध्यक्ष रह चुके है पूर्व प्रधान जबकि वर्तमान प्रधान ब्लाक अध्यक्ष है। दोनो पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। पूर्व प्रधान पर वित्तीय वर्ष 2017-18 में व्यक्तिगत शौचालय निर्माण में धांधली के आरोप लगे।जिला उद्यान अधिकारी उन्नाव एवम् श्रीश नारायण द्विवेदी जिला समन्वयक उन्नाव की संयुक्त जांच में भ्रष्टाचार के आरोप प्रमाणित हुए तत्कालीन तीन सचिव एवम् प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी हुए नोटिस का जवाब मिला जिसके परीक्षण हेतु पुनः जिला उद्यान अधिकारी को जांच मिली लेकिन अभी तक बताया जाता है उन्होंने अपनी जांच आख्या नही भेजी। इसका खुलासा जनसुनवाई पोर्टल पर गांव के ही रंजीत को द्वारा दर्ज कराई गई 4 अगस्त 2023 की शिकायत में जिलाधिकारी उन्नाव को डीपीआरओ कार्यालय के प्रभारी नोडल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट से स्पष्ट है। अब वर्तमान प्रधान प्रवीन कुमार के भ्रष्टाचार की जिनके विरुद्ध ग्राम पंचायत के ही मजरे रामपुर निवासी मुन्ना सिंह ने राज्यवित्त,मनरेगा आदि में गंभीर वित्तीय अनियमताओ की शिकायत शपथ पत्र के साथ की थी जिलाधिकारी ने जिला विकास अधिकारी उन्नाव को जांच अधिकारी नामित किया उन्होंने लगाए गए आरोपों की जांच तो की लेकिन परिणाम क्या निकला किसी को पता नही चला। शिकायतकर्ता का आरोप प्रधान को सत्ता पक्ष का राजनैतिक संरक्षण मिला हुआ है, प्रधान स्थानीय विधायक एवम् जिले के सांसद का अपने आपको उनका तथाकथित प्रतिनिधि करार देता है जिसके चलते अधिकारी जांच करने में खौफ खाते है एवम गोलमोल जवाब देते है यही कारण है उसने अर्थात शिकायत कर्ता ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच से न्याय की गुहार लगाई है। यह भ्रष्टाचार पर प्रदेश सरकार के जीरो टेलरेंस का एक ज्वलंत उदाहरण है यद्धपि प्रधान पक्ष लगाए गए आरोपों को नकारते हुए कहता है शिकायते राजनैतिक प्रतिद्वंदिता के चलते की गई थी जो जांच में झूठी पाई गई है। अब प्रश्न यह है कि शपथ पत्र में यदि झूठे आरोप लगाए गए थे तो जिम्मेदार अधिकारियों को झूठा शपथ पत्र देने वाले के खिलाफ भी कार्यवाही सुनिश्चित करना चाहिए। सूत्र बताते है कि प्रायः किसी न किसी ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार की शिकायते होती रहती है जो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाए जाने की जगह जांच अधिकारियों के लिए मुफीद साबित हो रही है। जांच अधिकारी जांच रिपोर्ट को दबाए रखते है।