उन्होंने कहा कि योग को ही ले लीजिए कि अष्टांग योग में ज्यादा से ज्यादा एक आध तरीके से करके छोड़ देते हैं जबकि इसके आठों आयामों को करना निहायत आवश्यक है। यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान और समाधि। परंतु हम आसन और प्राणायाम तक ही सीमित रहते हैं।
'यम- नियम -प्रत्याहार -ध्यान -धारणा और समाधि को लेकर वे प्रवाह रहते हैं,इसकी वजह से पूर्णतया उचित लाभ नहीं उठा पाते हैं। दीदी जी ने सभी को सुझाव दिया कि जो भी कार्य करो उसे विधि सम्मत करो तो अवश्य लाभान्वित होंगे। उक्त अवसर पर प्रताप नारायण मिश्र, रामेंद्र नारायण सिंह, ज्ञानचंद चौधरी,रमाशंकर सोनी,शिवशंकर पासवान,सुनील कुमार मोदनवाल,अनूप कुमार सिंह , ममता बहन,माही बहन,रमा माता" शुषमा माता,सोनी बहिन, बबिता बहिन,उमा माता,पूनम बहिन,राधा माता,शीला बहिन, शान्ती बहिन,अनुष्का अवस्थी आदि उपस्थित रहे।