तथा विपक्षी रानी देवी लगभग आधे घंटे बाद मौके पर पहुंची और दोनों पार्टियों में काफी नोंक-झोंक होने लगी फिर बाद में कानून गो एवं नायब तहसीलदार की सूझबूझ से दोनों पार्टियां शांत हुई। वहीं रानी देवी का कहना है कि उन्होंने ज़मींन का बैनामा 2005 कराया था। और बैनामा के आधार पर हमें पूर्व लेखपाल केशन यादव द्वारा पैमाइश करके दी गई है जिस पर हम काबिज़ है। तुमको जो करना हो करलो।
वहीं शिवकुमार कुशवाहा का कहना है कि मुझे इंदिरा आवास 1998-99 में मिला था। जो ग्राम समाज की भूमि में बना हुआ था। और इनका बैनामा 2005 में हुआ है और इनके बैनामे में चौहद्दी गलत पड़ी हुई है। चकरोड से सटा हुआ हमारा आवास था। और इन्होंने बैनामा कराकर तुरंत पजेसन नहीं लिया है बैनामा 2005 में और पजेंसन इन्होंने 2021 में लाकडाउन में लिया है। जब मैं यहां नहीं आ पाया था क्योंकि मैं कोरोना पाज़िटिव हो गया था।
वही वर्तमान लेखपाल विकास कुमार अवस्थी से बात करने पर बताया कि उक्त ग्राम का वर्तमान का नजरी नक्शा नहीं है उनके पास वह 1926 के नक्शे के आधार कर रहे पैमाइश। और ग्राम से सटकर निकल रहा है गंगा एक्सप्रेस-वे जो एक सोचनीय विषय हैं।
अब देखना यह होगा कि इंदिरा आवास जो कि एक सरकारी सम्पत्ति है को तहस नहस करने वालों के खिलाफ व बैनामे दर्ज चौहद्दी के आधार पर दस वर्ष बाद पजेसन में इंदिरा आवास को शामिल करने वाले अधिकारियों के खिलाफ प्रशासन करेगा कोई कार्यवाही ?