बाल चौपाल पाठशाला के संचालक दरोगा अनूप कुमार मिश्र अपूर्व के अमानवीय व्यवहार से खिन्न बच्चों ने वापस किए उपहार


यूपीसीएलडीएफ चेयरमैन वीरेंद्र कुमार तिवारी द्वारा बाल चौपाल पाठशाला में बांटे गए थे उपहार

बाल चौपाल के संचालक उन्नाव कंट्रोल रुम में तैनात दरोगा अनूप कुमार मिश्र अपूर्व ने तीन घंटे बच्चों को सर्दी में बिठाया था नंगे पैर

उन्नाव। बीती 7 जनवरी को यूपीसीएलडीएफ चेयरमैन द्वारा बाल चौपाल पाठशाला में वितरित पाठ्य सामग्री को दरोगा के अमानवीय व्यवहार से खिन्न बच्चों ने उनके घर जाकर वापस कर दिया।

विदित हो बीती 7 जनवरी को बाल चौपाल पाठशाला के संचालक उन्नाव कंट्रोल रुम में तैनात दरोगा अनूप कुमार मिश्र अपूर्व ने 15 बच्चों को अपने आवास पर आमंत्रित किया था। अवसर था राज्यमंत्री स्तर यूपीसीएलडीएफ चेयरमैन वीरेंद्र कुमार तिवारी द्वारा बाल चौपाल के तत्वाधान में पाठ्य सामग्री वितरण। खास बात यह रही कि भगवान के स्वरुप जिन बच्चों को दरोगा ने अतिथि के रुप में आमंत्रित किया था उनसे ही दरोगा ने अमानवीय व्यवहार किया जिससे खिन्न बच्चों ने उनके द्वारा दिए उपहार उनके दरोगा बाग स्थित आवास जाकर वापस कर दिए।

घर से नहीं निकले दरोगा अंकल

उन्नाव। दरोगा के अमानवीय व्यवहार से खिन्न बच्चे जब उनके द्वारा भेंट की गई कापी कलर व पेंसिल वापस करने पहुंचे तो उन्होंने दरोगा अंकल को कई आवाजें दी लेकिन वह बाहर नहीं निकले। इस पर बच्चों ने उनके द्वारा दिए उपहार उनके दरवाजे पर रख दिए और वापस चले आए।

क्या बोले बच्चे

उन्नाव। दरोगा के अमानवीय व्यवहार से खिन्न बच्चे पूरे रास्ते यह कहते जा रहे थे कि दरोगा अंकल हम आपकी बाल चौपाल पाठशाला में कभी नहीं पढे लेकिन आपने हमें बुलाकर उपहार तो दे दिए पर व्यवहार अच्छा न कर सके इसलिए हम आपके उपहार वापस कर रहे हैं। बच्चे व बच्चियों ने कहा कि जब 7 जनवरी को दरोगा अंकल के आमंत्रण पर वे उनके घर पहुंचे तो अंकल उनके सामने ही तैयार हुए उनके सामने ही पैंट पहनी। जब दरोगा अंकल ने कमरे में बिठाया तो बाहर ही जूते उतरवा दिए और तीन घंटे नंगे पैर उन्हंे ठंडी फर्श पर बिताने पडे। तीन घंटे में बच्चों से किसी ने यह तक नहीं पूछा कि कहीं प्यास तो नहीं लगी या वॉशरुम तो नहीं जाना। अमानवीय व्यवहार की हद तो तब हो गई जब बच्चों से जूते उठवाकर किनारे रखवाए गए।

आखिर क्या था दरोगा का मकसद

उन्नाव। दरोगा अनूप कुमार मिश्र अपूर्व ने चेयरमैन को यह कहकर बुलाया था कि अभावग्रस्त बच्चों को बाल चौपाल पाठशाला के तत्वाधान में पाठ्य सामग्री वितरित की जानी है लेकिन उनके पास बाल चौपाल पाठशाला में एक भी बच्चा नहीं था। जिन 15 बच्चों को उन्होंने पाठ्य सामग्री वितरित कराई उन्हें उन्होंने एक भी दिन शिक्षा नहीं दी और उन्होंने ढिंढोरा पीट दिया कि वे बाल चौपाल पाठशाला के तहत बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं तो आखिर उनके द्वारा जिन बच्चों को शिक्षा दी जा रही है उन्हें इस कार्यक्रम से वंचित क्यों किया गया और दूसरे स्कूलों के बच्चों को बुलाकर उन्हें प्रताडना क्यों दी गई। कहीं ऐसा तो नहीं दरोगा की इसी प्रताडना के चलते बाल चौपाल में बच्चे रुकना ही नहीं पसंद करते। आखिर इन सबके पीछे दरोगा का क्या मकसद रहा।

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