गोंडा जिले के खरगूपुर पुलिस का काम नहीं बोलता है कारनामा
गोण्डा। जिले के खुद को काफी तेजतर्रार कहलाने वाले कप्तान आकाश तोमर भले ही आये दिन अपने अधीनस्थ थाने व चौकी की पुलिस को सख्त निर्देश जारी कर चुस्त दुरूस्त कानून व्यवस्था के दावे कर रहे हों लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है और उनका कोई असर नहीं दिख रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण खरगूपुर थाने में सामने आया है जहाँ पुलिस का काम नहीं कारनामा बोलता है और मुंहमांगी घूस की रकम ना मिलने से पुलिस कर्मी बौखलाकर फर्जी चार्जशीट लगा देते हैं। जो जिले के आला अधिकारियों के दावे की पोल खोल रहे हैं और गम्भीर सवालिया घेरे में है।
मामला थाना खरगूपुर क्षेत्र के ग्राम बिशुनपुर बेलभरिया गांव से जुड़ा है। यहाँ की एक महिला के पिता के द्वारा पति पक्ष के खिलाफ मुकदमा अपराध संख्या -221/2021 अन्तर्गत धारा 498A,323,504, 3/4 डीपी एक्ट एवं 3/4 मुस्लिम महिला संरक्षण के तहत मुकदमा पंजीकृत कराया था। जिसमें स्थानीय थाने की पुलिस पहले अभियुक्त पक्ष से नाम निकालने के लिए वर्षों तक बारगेनिंग करती रही। इसी क्रम में पति-पत्नी का विवाद आपस में सुलह हो गया तथा अन्य घरेलू हिंसा के मामले में कोर्ट में भी सुलह हो गया।
जब इस बात की जानकारी दिनांक 29-11-2022 को अपर पुलिस अधीक्षक गोंडा के समक्ष कथित पीड़िता ने शपथ पत्र प्रस्तुत करके अवगत कराया कि उसका विवाद समाप्त हो गया है, तब तत्कालीन विवेचक ने पति पक्ष से 25 हजार बतौर सुविधा शुल्क फाइनल रिपोर्ट के लिये मांग किया और जब उसने मुंहमांगी रकम अदा नही की तो खुन्नस में आकर जल्दबाजी में दिनांक 05-12-2022 को आनन फानन में आरोप पत्र भेज दिया।
जब पुनः इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से कथित पीड़िता ने किया तो पुलिस उपाधीक्षक सिटी ने पुन: विवेचना का आदेश दिनांक 3-1-2023 को पारित किया,जिसके बाद विवेचना संतोष पाण्डेय को सौंपी गयी तो उन्होंने साफ शब्दों में मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता पंकज दीक्षित से कहा कि कोर्ट में सुलह करेंगे तों मुंबई से आने जाने में जो खर्च लगे उतना दिला दीजिए तो फाइनल रिपोर्ट लगा दूंगा। क्योंकि इसमें अपर पुलिस अधीक्षक व सीओ को मैनेज करना पड़ेगा।
ऐसे में विवेचक की मांग पूरी नही करायी गयी और कोर्ट में विवेचना मॉनिटर करने का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें स्थानीय थाने से आख्या आहूत की गयी तो बिना किसी जांच पड़ताल के कथित पीड़िता एवं वादी द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र को विवेचना में सम्मिलित नही किया और पुनः फर्जी आरोप पत्र भेज दिया।
अब कथित पीड़िता और पति पक्ष ने न्याय के लिये कप्तान से गुहार लगाई है। जिस पर पुलिस अधीक्षक ने मामले का संज्ञान लेकर इसकी जांच कराकर फाइनल रिपोर्ट लगवाने का आश्वासन दिया है। अब देखना यह है कि मामले मे सुलह के बाद भी पक्षकारों को कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ेगा या कप्तान मामले का निस्तारण करा देंगें।