शिक्षा विभाग का अजब गजब कारनामा


आरोपित शिक्षिका द्वारा खुद को फंसता देखकर दी गई भ्रामक गुमराह पूर्ण असत्य सूचना

अधिकारियों से मांगी गई जनसूचना के क्रम में संबंधित दोषी शिक्षिका को ही जांच और सूचना उपलब्ध कराने की सौंपी गई जिम्मेदारी

कटरा बाजार गोण्डा। स्थानीय कटरा बाजार क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम सभा चैनापुर में स्थित प्राथमिक विद्यालय चैनापुर में तैनात शिक्षिका के बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गोंडा से सूचना मांगे जाने पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा संबंधित आरोपी शिक्षिका अमिता सिंह को ही जांच सौंप कर सूचना उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दिये जाने से उक्त शिक्षिका द्वारा खुद को बचाने के उद्देश्य से आवेदक को वांछित सही सूचनाऐं ना उपलब्ध कराकर भ्रामक गुमराह पूर्ण असत्य सूचना दिये जाने का मामला सामने आया है जो शिक्षा विभाग के जिम्मेदार आला अधिकारियों की कार्यप्रणाली को सवालिया कटघरे में खड़ा कर रहा है। 

प्रकरण कटरा बाजार क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम सभा चैनापुर से जुड़ा है, यहाँ के प्राथमिक विद्यालय चैनापुर में तैनात शिक्षिका के बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गोंडा से सूचना मांगे जाने पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा दोषी शिक्षिका अमिता सिंह को ही जांच सौंप दी गयी, क्योंकि जिस संबंधित आरोपित शिक्षिका के बारे में पूछा गया था वह शिक्षिका विभाग व अन्य को गुमराह करने में पहले से  ही तेज है। सूत्रों के मुताबिक शिक्षिका अमिता सिंह विभाग को गुमराह करके लखनऊ में बैठकर पहले से ही वेतन प्राप्त कर रही हैं। बता दें कि उक्त संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी से 5 बिंदुओं पर सूचना मांगी गई थी।लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से सूचना के बजाय दोषी शिक्षिका को ही जांच दे दी गई जिससे संबंधित आरोपित शिक्षिका द्वारा अभी भी विभाग व सूचना प्राप्त करने वाले को गुमराह करने का असफल प्रयास किया गया है । मालूम हो कि शिकायतकर्ता ने बीएसए गोंडा से पहले बिंदु पर पूछा था कि प्रधानाध्यापिका अमिता सिंह ने सत्र 2021-22 में कुल कितने अवकाश प्राप्त किए हैं तो शिक्षिका द्वारा बताया गया कि हमने सत्र 2021-22 मे कुल 8 अवकाश लिए हैं जबकि यहीं के एक सरकारी अध्यापक का बयान है कि महीने में कहीं एक या दो दिन ही विद्यालय आती हैं और ग्रामीणों का भी यही कहना है। इसके बाद सत्र 2021-22 मे कुल पंजीकृत छात्र/छात्रा की सूची नाम,पिता का नाम व वर्तमान पते के साथ मांगा गया था तो शिक्षका द्वारा केवल पंजीकृत छात्र संख्या बताया गया यहां भी सूचना प्राप्त करने वाले व्यक्ति को व विभाग को गुमराह किया गया। इसके बाद विद्यालय में बनने वाले मिड डे मील की प्रति दिन की सूचना मांगी गई थी तो शिक्षिका द्वारा विभाग में इसका रिकार्ड होना बताया गया। वहीं शिक्षिका के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की सूचना मोहर हस्ताक्षर सहित मांगी गई थी तो शिक्षिका द्वारा विभाग में रहने की सूचना दी। ऐसे में गंभीर सवाल यह उठता है कि आखिर सारे रिकार्ड विभाग में है तो विभाग द्वारा मांगी गई सूचना देने के लिए शिक्षिका से क्यों कहा गया। इससे साफ जाहिर होता है कि विभाग व शिक्षिका के मिली भगत से नौनिहालों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।कहने का तात्पर्य यह है कि आखिर इन बच्चों के साथ हो रहे खिलवाड़ का जिम्मेदार कौन है? अध्यापक, विभाग या फिर अभिभावक। इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है।

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