ग्रामीण क्षेत्र के साथ ही कस्बे में अक्सर पूरी रात गायब रहती है बिजली, अंधेरे व मच्छरों की समस्या से जूझ रहे लोग
कस्बे में 20 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 16 से 18 घंटे विद्युत आपूर्ति के सरकारी दावे हवा-हवाई
गोण्डा। प्रदेश सरकार के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में क्रमशः 18 व 20 घंटे विद्युत आपूर्ति के दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं।इस भीषण गर्मी में तहसील क्षेत्र कर्नलगंज के ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में लगातार हो रही अघोषित विद्युत कटौती से ग्रामीण व नगरीय विद्युत उपभोक्ता काफी त्रस्त हैं। मालूम हो कि कस्बे में एक घण्टे विद्युत आपूर्ति तो एक घण्टे की कटौती हो रही है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में रात-रात भर बिजली गुल रहती है जिससे लोग इस भीषण गर्मी व उमस में काफी बेहाल होकर रतजगा करने पर विवश हैं और रात भर अंधेरे के साथ ही मच्छरों की समस्या से जूझते हुए भरपूर नींद तक नहीं ले पा रहे हैं। कस्बे में 20 घंटे की विद्युत आपूर्ति के बजाय 10 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 16 से 18 घंटे के बजाय मात्र पांच घंटे बिजली किसी तरह मुहैया हो पा रही है। क्षेत्र में जबरदस्त विद्युत कटौती और जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते उपभोक्ता काफी परेशान हैं। बताते चलें कि एक ओर भीषण गर्मी और तपिश के चलते लोग पंखे व कूलर का सहारा ले रहे हैं। वहीं विद्युत की भीषण कटौती के चलते विद्युत आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरीके से चरमरा चुकी है। प्रदेश सरकार द्वारा शहरों में 20 घंटे एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 16 से 18 घंटे बिजली आपूर्ति का आदेश जारी किया गया था। जहां बीते एक सप्ताह पूर्व तक विद्युत आपूर्ति व्यवस्था पटरी पर थी लेकिन एक सप्ताह से चल रही भीषण कटौती, रोस्टिंग और ट्रिपिंग के चलते उपभोक्ताओं को बिजली नहीं मिल पा रही है। यही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तो बहुत बुरा हाल है यहां मात्र 5 घंटे से 6 घंटे की विद्युत आपूर्ति की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र के कटरा व भंभुआ उपकेंद्र की हालत खस्ता है यहां भी 5 घण्टे की आपूर्ति होती है। जबकि जिम्मेदार विभागीय अधिकारी कर्मचारी इस बारे में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं और मूकदर्शक बने हैं। उपखंड अधिकारी विद्युत वितरण उपखंड कर्नलगंज एसके वर्मा का कहना है कि कटौती रोस्टिंग कर्नलगंज पावर हाउस से नहीं बल्कि ऊपर से की जा रही है। वहां से जो भी बिजली प्राप्त होती है वह क्षेत्रों में आपूर्ति की जा रही है। इस विकराल समस्या के चलते लोगों में आमजनमानस में काफी आक्रोश है जो कभी भी आंदोलन का रूप ले सकता है।