मन्नतों वाला बरगद कामना पूरी होने पर चढ़ाते पालना व मिट्‌टी के घोड़े

दमोह जिले के बोतराई गांव में ठाकुर बाबा सिद्ध पीठ 14 वर्ष में साढ़े 4 हजार घरों में किलकारी गूंजने का दावा

मध्य प्रदेश के दमोह जिले में पथरिया ब्लॉक के बोतराई गांव में एक ऐसा बरगद का पेड़ है, जिस पर दर्जनों झूले (बच्चों के पालना) लटके हुए हैं। इस पेड़ के नीचे एक मंदिर भी है। इसमें ठाकुर बाबा सिद्ध की प्रतिमा स्थापित है। इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन जिनके घर बच्चों की किलकारी नहीं गूंजती वे यहां आकर मन्नत मांगते हैं। मंदिर के पंडा नारायण पटेल की मानें तो 14 साल में करीब साढ़े 4 हजार नि:संतान दंपतियों की मन्नत पूरी हुई है। मान्यता है कि यहां आने के सालभर बाद उनके यहां खुशखबरी आ ही जाती है। ऐसा हुआ तो वे यहां आकर बरगद के पेड़ पर झूला बांधते हैं। हालांकि, जिनकी मन्नत एक बार में पूरी नहीं होती, उन्हें मिट्टी के घोड़े चढ़ाने का वचन देना होता है। इसके बाद उनकी मन्नत बाबा पूरी करते हैं।

पंडा का दावा, हर मर्ज का इलाज है यहां

यह बरगद का पेड़ पथरिया ब्लॉक के बोतराई गांव में है। पंडा पटेल के अनुसार करीब 14 साल पहले यहां आया था तो यहां नाला बहा करता था। नाले के किनारे एक पत्थर रखा हुआ था। इस पत्थर को केवलारी गांव का एक व्यक्ति लेकर चला गया था। उन्हें खबर मिली तो वे गांव पहुंचे, जहां पत्थर सामने आते ही उनके हाथ में चिपक गया। इसके बाद वे पत्थर लेकर उसी स्थान पर लौट आए। तभी से लोगों यहां मन्नत मांगने लगे।

कई परिवारों की मन्नतें पूरी हुईं

पटेल ने बताया कि शुरुआत में लोगों ने बीमारी ठीक करने की मन्नत मांगी, जो पूरी हुई। उसके बाद लोग यहां संतान के लिए आने लगे और मन्नत पूरी होने लगी। अब दूर-दूर तक के लोग यहां पर आते हैं। पहली बार में बच्चा होने पर बरगद के पेड़ पर झूला बांधना पड़ता है। यदि मन्नत पूरी न हो तो फिर मिट्टी का घोड़ा बांधने का वचन देना पड़ता है। एक साल बाद उनके घर में बच्चों की किलकारी गूंजने लगती है।

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