उत्तर प्रदेश की सियासत जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र राजनीति के रुस्तम को घेरने के लिए नए सूरमा मैदान में


शिवपाल सिंह यादव सपा, विवेक शाक्य भाजपा, ब्रजेंद्र प्रताप सिंह बसपा से चुनावी जंग में

रण में संग्राम, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव परिवार के लिए अपराजेय किला शिवपाल सिंह यादव लगातार 25 वर्षों से विधायक

जसवंतनगर विधानसभा मुलायम सिंह यादव परिवार के लिए अपराजेय रही है। मुलायम सिंह यादव के पहलवानी के अखाड़े से राजनीति के माहिर खिलाड़ी बनने की आरंभिक गाथा का यह क्षेत्र ही साक्षी रहा है। वे 1967 में पहली बार जसवंतनगर से विधायक निर्वाचित हुए। 69 में कांग्रेस के चौ. विशंभर सिंह यादव और 80 में बलराम सिह यादव विधायक का चुनाव जीते। बाकी 1996 तक हुए कुल चुनावों में सात बार मुलायम सिंह यादव ही विधायक निर्वाचित हुए।

इटावा की जसवंतनगर सीट कभी दर्शन सिंह और मुलायम सिंह के मुकाबले के लिए देश भर में चर्चित रही है। इसी सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता बलराम सिंह भी विधायक रहे हैं। 1985 से मुलायम सिंह के परिवार का ही इस पर कब्जा है। यादव मतदाता बहुल इस सीट पर कांग्रेस भाजपा और बसपा ने कई बार मुलायम सिंह परिवार का चक्रव्यूह भेदने का प्रयास किया लेकिन नाकाम रहीं। इस सीट पर छठवीं बार विधायक बनने के लिए उतरे शिवपाल को घेरने के लिए भाजपा और बसपा ने नए सूरमाओं को मैदान में उतारा है l 

वर्ष 1996 से इस सीट से शिवपाल सिंह यादव लगातार विधायक बन रहे हैं। 2017 में भगवा लहर के बावजूद शिवपाल यादव ने भाजपा के उम्मीदवार मनीष यादव पतरे को 52 हजार से भी अधिक वोटों से हराया था। हालांकि, बाद में सैफई परिवार में आपसी कलह तेज हो गई और समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव हाशिये पर चले गए थे। अपनी उपेक्षा से नाराज शिवपाल ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली और लोकसभा चुनाव में अपने अलग उम्मीदवार उतारे। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चाचा भतीजे की जोड़ी एक बार फिर साथ आ गई।

जातीय समीकरणों से ही घेरेबंदी

 प्रसपा और सपा के बीच हुए समझौते के तहत शिवपाल फिर सपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसी बीच कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा छोड़ दी, उनके साथ ही शिवपाल के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले मनीष ने भी भाजपा को अलविदा कहकर सपा का दामन थाम लिया। मनीष के सपा में जाने के बाद भाजपा ने यहां से युवा चेहरा विवेक शाक्य को मैदान में उतारा है। बसपा ने ब्रजेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया है। 
भाजपा ने युवा और शाक्य समाज से उम्मीदवार उतारकर दूसरी सीटों समीकरण साधने की कोशिश की है। शाक्य समाज का इटावा जिले की दूसरी सीटों पर वोट काफी निर्णायक माना जाता है, इससे भाजपा को जसवंत नगर के अलावा दूसरी सीटों पर फायदा होगा। इटावा जिले में भाजपा जिस तरह से जातीय समीकरणों के जवाब में जातीय समीकरणों से ही घेरेबंदी कर रही है, उससे इस सीट पर मुकाबला काफी रोचक हो सकता है। 

मुलायम परिवार के लिए अपराजेय रही है यह सीट

जसवंतनगर विधानसभा मुलायम सिंह यादव परिवार के लिए अपराजेय रही है। मुलायम सिंह यादव के पहलवानी के अखाड़े से राजनीति के माहिर खिलाड़ी बनने की आरंभिक गाथा का यह क्षेत्र ही साक्षी रहा है। वे 1967 में पहली बार जसवंतनगर से विधायक निर्वाचित हुए। 69 में कांग्रेस के चौ. विशंभर सिंह यादव और 80 में बलराम सिह यादव विधायक का चुनाव जीते। बाकी 1996 तक हुए कुल चुनावों में सात बार मुलायम सिंह यादव ही विधायक निर्वाचित हुए। 96 में यह सीट उन्होंने अपने अनुज शिवपाल सिंह यादव को सौंप दी। विधानसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव ने जीत का जो सिलसिला शुरू किया, दूसरे दलों के लिए उसे तोड़ पाना अभी तक तो मुमकिन नहीं हो पाया है। भाजपा हो अथवा बसपा दोनों ने ही खूब जोर लगाया परंतु यहां सपा को हिला नहीं सके।

2017 विस चुनाव का परिणाम

शिवपाल सिंह यादव, सपा 1,26,834

मनीष यादव पतरे, भाजपा 74,218

दुर्वेश कुमार शाक्य, बसपा 24,509

जगपाल सिंह यादव, रालोद 1145 प्राप्त मत

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