227. महरौनी विधानसभा क्षेत्र के चुनावी रण में योद्धाओं की बाजीगरी


बुंदेलखंड में जबरदस्त घमासान कांग्रेस का गढ़ रहे महरौनी को भाजपा ने छीना: बसपा ने चखा जीत का स्वाद, सपा खोल पाएगी खाता ?

महरौनी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस, भाजपा व बसपा प्रत्याशियों के बीच ही मुकाबला रहा है लेकिन सपा को यहां जीत का मौका नहीं मिला। वर्ष 2002 के चुनावों में सपा ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान पाकर अपनी मजबूत उपस्थिति का अहसास कराया था लेकिन वर्ष 2007, 2012 और 20017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था। इस बार पार्टी ने सजातीय वोटों के आधार पर फेरनलाल अहिरवार को चुनाव में उतार दिया है। चुनाव परिणाम क्या रहेंगे ये तो आने वाला समय ही बता सकेगा।

वर्ष 1996 के चुनाव के दौरान सपा ने सिर्फ सदर विधानसभा सीट पर ही अपना प्रत्याशी खड़ा किया था। महरौनी सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा, मगर जनता के बीच अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने दबे पांव काम किया। इस चुनाव में कांग्रेस के पूरन सिंह बुंदेला विजयी हुए थे। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनावों पूरन सिंह बुंदेला दल बदल कर भाजपा से चुनाव लड़े और दोबारा जीत दर्ज कराई। जबकि सपा के दीवान विक्रम सिंह 42583 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। पहले ही चुनाव में अपनी मजबूत उपस्थिति का अहसास कराने वाली सपा ने बसपा और कांग्रेस को काफी पीछे छोड़ दिया था।

बसपा प्रत्याशी जयराम सिंह यादव को 34,064 और कांग्रेस प्रत्याशी रामस्वरूप देवलिया को महज 15,873 मतों से ही संतोष करना पड़ा था। वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में सपा अपना पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी और उसके प्रत्याशी तीसरे स्थान पर खिसक गए। भाजपा से बसपा में आए पं. रामकुमार तिवारी को पार्टी ने 2007 में चुनाव लड़ाया, तो वह 71,097 मत पाकर विजयी हुए। जबकि भाजपा से कांग्रेस में पहुंचे पूरन सिंह बुंदेला को 46,861 वोट मिले।

सपा प्रत्याशी दीवान विक्रम सिंह को 30,028 मतों से संतोष करना पड़ा। वहीं भाजपा के देवेंद्र कुमार सिंह को 13,465 वोट ही प्राप्त हो सके। वर्ष 2012 में महरौनी सीट को आरक्षित कर दिया गया। इस चुनाव में बसपा के प्रत्याशी फेरन लाल अहिरवार को सबसे अधिक 70,847 वोट मिले थे। भाजपा प्रत्याशी मनोहरलाल पंथ (मन्नू कोरी) ने कड़ी टक्कर देते हुए 69,110 मत प्राप्त किए थे। सपा प्रत्याशी मुन्नालाल रजक ने अच्छा प्रदर्शन तो किया लेकिन जीत प्राप्त नहीं कर सके। उन्हें 67,230 मतों के साथ तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव मैदान में उतरे रमेश खटीक को 40,576 मत प्राप्त किए थे। 

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हुए रमेश खटीक पर पार्टी ने दांव लगाया लेकिन इस बार भी पार्टी को तीसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा। भाजपा के मनोहर लाल पंथ रिकार्ड 1,59,291 मत पाकर पहले स्थान पर और बसपा से फेरन लाल अहिरवार 59,727 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। इस तरह समाजवादी पार्टी को महरौनी विधानसभा क्षेत्र में जीत का परचम फहराने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। यह कहना गलत नहीं होगा कि कई सालों से इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा और सपा के बीच हारजीत का खेल चलता रहा है। इस बार चुनाव परिणाम क्या होगे यह तो 10 मार्च के बाद ही पता चलेगा।

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