उन्नाव/अचलगंज। नगर पंचायत बनने के बाद हड़हा में पूर्व में जारी हुए चकबंदी के आदेश के निरस्तीकरण के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। वर्ष 2012 में ग्राम पंचायत हड़हा की चकबंदी का आदेश जारी किया गया था। इसकी प्रक्रिया भी चालू हो गई थी। भूलेख के सारे दस्तावेज तहसील से हटा कर चकबंदी विभाग को सौंप दिए गए थे। कंप्यूटर से खतौनी भी हटा दी गई थी। 55 सौ एकड़ भूमिधरी वाले हड़हा में एक लेखपाल को सर्वे का कार्य सौंपा गया था। सर्वे का काम 10 साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया। इसके बाद आकारपत्र के पर्चे कटने का समय आया तभी अचलगंज, हड़हा व कांटी को मिला कर नई नगर पंचायत का गठन हो गया। इस कारण चकबंदी कार्य तो रुक गया लेकिन तहसील प्रशासन को कोई दस्तावेज वापस नहीं हुए।
धन्नीपुर के राकेश तिवारी ने बताया कि वरासत कराने में पांच हजार रुपये खर्च हो गए। मंजू तिवारी को जमीन का दाखिल खारिज कराने में 10 हजार का खर्च आया। हड़हा के लल्लन यादव, अजय निगम, सूर्य प्रकाश तिवारी व मयंक बाजपेई ने बताया कि खतौनी के सौ रुपये व खसरा समेत दो सौ रुपये खुलेआम लिए गए। अब चकबंदी के निरस्तीकरण की कार्रवाई शुरू होने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। चकबंदी अधिकारी सुरेश यादव ने बताया कि नगर पंचायत क्षेत्र में आने के कारण अब चकबंदी नहीं हो पाएगी। शासन को पत्र लिखकर निरस्तीकरण की अनुमति मांगी गई है।