देहरादून के माजरा में ऑटो चालक के बेटे को रविवार सुबह अगवा कर लिया गया। बच्चे के पिता को कॉल कर धमकी देते हुए दो लाख रुपये दो घंटे में मांगे गए। बच्चे के पिता ने पार्षद को बताया। सूचना पुलिस तक पहुंची। पुलिस ने बच्चा बरामद कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। वहीं, एक आरोपी फरार है। माजरा स्थित मस्जिद वाली गली में आटो चालक आदि परिवार संग रहते हैं
रविवार सुबह उनका 13 वर्षीय बेटा मोहम्मद अली खेलने के लिए निकला। वह काफी देर तक नहीं लौटा तो उसकी तलाश शुरू की। दोपहर 1.52 बजे बच्चे पिता को कॉल आई। कॉल करने वाले ने कहा कि उनके बेटे को अगवा कर लिया गया है। किसी को जानकारी दी तो पहले बच्चे की हत्या कर दी जाएगी। कहा कि दो घंटे के भीतर दो लाख रुपये देने होंगे।
बच्चे के पिता ने कहा कि वह ऑटो चलाते हैं। इतने कम समय में इतनी रकम कहां से जुटा पाएंगे। करीब दो घंटे बाद फिर बच्चे के पिता को कॉल आई। इस बार स्थानीय पार्षद आफताब आलम बच्चे के पिता के साथ थे। इस बार उन्होंने साढ़े पांच बजे तक का समय दिया। कहा कि वह केवल डेढ़ लाख रुपये का इंतजाम करें। रकम लेकर उन्हें हर्रावाला में लक्ष्मण सिद्ध मंदिर रोड पर बुलाया
वहां हेलमेट पहनकर झाड़ियों में खड़े व्यक्ति ने फिरौती की रकम अपने पास रखवाई। इसके बाद उन्हें कहा पीछे घूमकर न देखें। बच्चे के पिता वहां से निकले। इसी बीच आरोपी ने किसी को फोन किया। एसएसपी जन्मेजय खंडूरी ने बताया कि उसकी लोकेशन तेलपुर चौक के पास चाय बागान इलाके में मिली। वहां से पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार करते हुए बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया।
वहीं, एसओजी ने पैसे लेने वाले युवक को भी पकड़ने की कोशिश की। वह रुपयों से भरा बैग फेंककर भाग निकला, लेकिन बाद में आरोपी को पकड़ लिया गया। वहीं, कार लेकर आया तीसरा आरोपी फरार बताया जा रहा है। इंस्पेक्टर पटेलनगर प्रदीप राणा ने बताया कि आरोपियों की पहचान अबरार और मुमाताज निवासी मुराबाद के रूप में हुई। तीनों आरोपी रूममेट हैं।
मैदान तक ले जाने को कहकर ले गए आरोपी
इंस्पेक्टर प्रदीप राणा ने बताया कि बच्चा घर के पास खेल रहा था। तभी आरोपी वहां पहुंचे और अपने बच्चे के पास के मैदान में खेलने की बात कहकर इस बच्चे को भी साथ ले गए।
आरोपियों ने करीब दो बजे की पहली कॉल
बच्चे के पिता आविद ने बताया कि उन्होंने कॉल करीब दो बजे की। पहले कहा कि उन्हें अपने बच्चे की फिक्र है या नहीं। बोले, बच्चे का अपहरण हो गया है। यह सुनकर बच्चे के पिता का गला सूख गया। घबराते हुए उन्होंने बात की।
बच्चे को पता नहीं लगा कि वह अगवा हो गया
आरोपियों ने बच्चे को अगवा करने के बाद इस तरह रखा कि उसे भी उसके अपहृत होने की भनक नहीं लगने दी। वह उसे कार में लेकर गए थे अच्छी तरह से बातचीत की। परिवार के बारे में बात करते हुए अचानक उसके पिता का नंबर लिया। शाम को बरामद बच्चे ने बताया कि कार में बैठाकर दो लोग उसे शिमला बाईपास रोड पर लेकर गए। बच्चे ने एक स्थान पर बोर्ड देखा तो वहां से पावंटा करीब 13 किलोमीटर था। इसके बाद उसे इधर-उधर घुमाते रहे। आरोपियों ने उसे चिप्स और बिस्किट खिलाए। बच्चा परिजनों से मिला तो उसे पता नहीं था कि उसका अपहरण हुआ। पुलिस को देखकर बच्चे ने पूछा कि क्या हो गया है।
राहगीरों के नंबरों से किए कॉल
अपहरण करने वालों ने बहुत शातिर तरीके से रकम हासिल करने की कोशिश की। उन्होंने बच्चे के पिता को पांच कॉल किए। सभी पांच कॉल अलग-अलग नंबरों से आईं। उन नंबरों पर पुलिस ने बच्चे के पिता से कॉल बैक कराई। इस दौरान हर बार बताया गया कि राह चलते किसी ने जरूरी बात करने की बात कहते हुए उनके फोन लिए। उन्हें जब असली बात पता चली तो वह भी घबरा गए। आरोपियों ने आखिरी कॉल लक्ष्मण सिद्ध मंदिर के पास से की।
देहरादून से शादाब अली की रिपोर्ट