प्रयागराज :-सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से बुधवार को प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने कृषकों को सलाह दी है कि सरसों की 75 प्रतिशत फलियों में सुनहरा पीला पड़ने पर कटाई करना उचित है। आम , अमरुद, नींबू , अंगूर , बेर तथा पपीता के बागों की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। रजनीगन्धा में एक सप्ताह के अन्तराल पर सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई करें। केले मे ंप्रति पौधे 25 ग्राम नाईट्रोजन , 25 ग्राम फाॅसफोरस व 100 ग्राम पोटाश भूमि में गुड़ाई कर मिला दें तथा सिंचाई करें।
भिण्डी के फसल में फलों की तुड़ाई प्रत्येक तीसरे दिन करें। अन्यथा तुड़ाई नियमित न करने पर फल बड़ा हो जाता है तथा संख्या में कम प्राप्त होते है। भिण्डी एवं अन्य सब्जियों की बुआई के 30 से 35 दिनो के बाद खाद का प्रयोग करें।
ग्रीष्म कालीन बैंगन में रोपाई के 30 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 50 किग्रा नाइट्रोजन (108 किग्रा यूरिया) की पहली टाप ड्रेसिंग व इतनी ही मात्रा की दूसरी टाप ड्रेसिंग रोपाई 45 दिन बाद करें। आलू की खुदाई ,छंटाई एवं ग्रेडिंग करें तथा कंद के उपचार के बाद भंण्डारण करें। फसल चक्र जैसे की प्याज के बाद ज्वार, बाजरा इत्यादि फसल लेने से झुलसा बीमारी कम हो जाती है। देर से बोये जाने वाले भिन्डी के प्रजाती जैसे अर्का, अनामिका एवं अर्का अभय आदि बीजांे का चयन करें। मूॅग की बोआई 30 सेंमी दूर कतारों में करें तथा बुवाई के समय 100 किग्रा प्रतिहेक्टेयर डी0 ए0 पी0 उर्वरक का प्रयोग करें। नींबू वर्गीय वृक्षों में सूक्ष्म तत्वों का छिड़काव करें। फलों को फटने से बचाने के लिए 100 मिली ग्राम जिंबरेलिक एसिड प्रति 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
यूपी हेड रामशरण कटियार के साथ जिला ब्यूरो चीफ मोहम्मद आरिफ की रिपोर्ट।