फतेहपुर में खलिहान व तालाब की जमीनों पर हो रहा अवैध खनन।

फतेहपुर :-गाजीपुर थाना क्षेत्र के मलाका गांव का है जहाँ पर खनन माफियाओं द्वारा लगातार खनन करवाया जा रहा जहाँ पर जिला प्रशासन की नजर नहीं जा रही है नजर जाए भी तो क्यों आपको बताते चलें कि दरअसल की खनन माफिया कोई और नहीं बल्कि खनन करवाने वाला व्यक्ति चुन्नू पासवान पुत्र रामविलास पासवान जिनका एक भाई उपेन्द्र उर्फ रिंकू जो कि वर्तमान में घाटमपुर विधायक हैं। तो वहीं दूसरे भाई भूपेन्द्र के साथ वर्तमान खागा विधायक कृष्णा पासवान की भतीजी का सम्बन्ध होने की वजह से माफियाओं के तार सीधे तौर पर विधायकों से जुड़े होने की वजह जिला प्रशासन खनन माफियाओं पर कार्यवाही करने से सीधे तौर पर बचता हुआ दिखाई पड़ रहा है


बताते चलें कि उक्त तालाबी व खलिहान की गाटा स० 988 है जिस पर क्षेत्रीय लेखपाल के कथनानुसार उक्त भूमि से दस से पन्द्रह ट्रॉली मिट्टी भरकर ले जाने की बात को स्वीकार तो किया है लेकिन मौके पर जब मीडिया की एक टीम पहुँची तो हैरतअंगेज नजारा देखने को यह मिला कि उक्त भूमि से मात्र दस से पन्द्रह ट्रॉली मिट्टी भरकर ले जाने मात्र से ही इतना गहरा खंदक हो जाए जिस पर यदि दो हाथी भी डाल दिये जायें तो उसकी गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है इससे साफ स्पष्ट है कि कहीं न कहीं क्षेत्रीय लेखपाल के साथ साथ कई उच्चाधिकारियों का भी खनन माफियाओं को सहयोग प्राप्त है और हो भी तो क्यों न जब वर्तमान में नीचे से ऊपर तक सत्ता भाजपा की हो और वर्तमान में विधायक भी सत्ता का हो तो खनन होना भी स्वाभाविक है अधिकारी ध्यान दे भी तो क्यों कुर्सी जो उनकी ठहरी सत्ता पर यदि उनके द्वारा निशाना साधा गया तो अधिकारियों की कुर्सी चूल तक हिल जाएंगे इसी को देखते हुए अधिकारी कार्यवाही करने से डरा व सहमा हुआ दिखाई पड़ रहा है वो ऐसे समय मे खनन का तेजी से होना जब पूरे उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी तेज हो सब चुनावी बयार में मस्त हों तो वहीं खनन माफिया अपने खनन कार्य मे मस्त हो भी तो क्यों न अब देखना यह है कि जिले में बैठे आला अफसर क्या सच में इन सत्ता के नशे में चूर खनन माफियाओं पर गाज गिरा पाएगी या फिर अधिकारियों द्वारा माफियाओं पर गाज गिराने से पहले ही खुद अधिकारियों पर ही ऊपर से ही सत्ता में बैठे लोगों द्वारा गाज गिरा देगी मामला बड़ा ही दिलचस्प होगा जब प्रशासन इन पर कोई कार्यवाही करेगा देखना यह है कि आखिर जीत किसकी होगी सत्ता की या फिर तीस पैंतीस साल गिरते पड़ते पढ़ाई कर मिलने वाली कुर्सी पर ज्यादा दबदबा कायम होता है या फिर बहुत ही कम समय में नेता बन मिलने वाली कुर्सी का दबदबा ज्यादा है ये तो वक़्त आने पर ही पता चलेगा!


संवाददाता शकील अहमद के साथ यूपी हेड रामशरण कटियार की रिपोर्ट।

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