दिल्ली:- आपको बताते चलें कि किसानों के 100 दिन बीत जाने के बाद किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि कृषि कानून सरकार द्वारा लाए गए तीनों कानून विधेयक बिल किसानों के खिलाफ है। किसानों ने अपने आंदोलन को प्रभावी बनाने के लिए यूएन के किसानों को अधिकार से संबंधित घोषणा पत्र की याद दिलाते हुए उससे मदद करने की अपील की है।संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल सिंह ने यूएन मानवाधिकार काउंसिल की 64 वीं बैठक को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए, उसे यह याद दिलाया कि भारत ने यूएन के किसानों के अधिकार से संबंधित घोषणा पत्र पर दस्तख़त किए गए हैं इसलिए छोटे किसानों के अधिकारों की रक्षा सरकार की पूर्ण जिम्मेंदारी है।
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के तीनों कृषि कानून गलत है जिनके खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। छोटे किसानों को घोषणापत्र में वर्णित अधिकारों से वंचित कर देंगें।
उन्होंने कहा कि हम यूएन से अपील करते हैं,कि भारत सरकार से इस घोषणापत्र पर अमल करने के लिए कहे,कि किसानों के तीनों काले कृषि कानून ख़त्म किए जाएं और किसान सहित पर्यावरण के अनुकूल नीति बनाने के लिए विचार विमर्श किया जाए जिससे कि किसानों का हित हो सके और किसान स्वतंत्र होकर अपनी फसलों का सही मूल्य प्राप्त कर सके।
दर्शन पाल सिंह ने बल देकर कहा कि मोदी सरकार ने जो तीनों कृषि कानून बनाए हैं वह यूएन के घोषणापत्र के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि हम शुक्रगुजार हैं कि यूएन में हमारी आवाज सुनी जा रही है। किसान नेता ने कहा कि किसानों को भारत देश से प्रेम और उसे गर्व है। कि यूएन ने पूरी दुनिया के किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए “डेक्लेरेशन ऑफ़ राइट्स ऑफ़ पीज़ेंट्स” तैयार किया गया था। हमारे देश ने भी इस पर दस्तख़त किए हैं। बरसों से हमें रिआयत हासिल थी जिसमें कीमत तय करने का आजाद तंत्र भी था,जो इस बात को सुनिश्चित करता है कि किसान एक अच्छी ज़िंदगी गुजार सके। इसे हम (एमएसपी) कहते हैं। हमारे पास खेती की पैदावार का मार्केट में अच्छा नेटवर्क है। जिसका मुनाफा ग्रामीण मूल रचनाओं को बेहतर बनाने में इस्तेमाल होता है।
संयुक्त किसान मोर्चे के सदस्य ने यूएन मानवाधिकार काउंसिल को बताया कि हमें अदालत के दर पर जाने का भी अधिकार हासिल है, जिसे नए कानून के तहत छीना जा रहा है। इन तीनों कानूनों से हमारी आय दोगुनी नहीं होगी, बल्कि जिन राज्यों में इस तरह की नीतियां लागू की गयी हैं, वहाँ के किसान गरीबी का शिकार हो जाएंगे, उन्हें अपनी ज़मीनों से भी हाथ धोना पड़ेगा।
*संवाददाता शकील अहमद के साथ यूपी हेड रामशरण कटियार की रिपोर्ट*