👉 कुछ महीने पहले हुई घटना से नहीं लिया प्रशासनिक अधिकारियों ने सबक।
👉 कॉलोनियों में बेखौफ चल रही हैं कांच की फैक्ट्रियां
आगरा:- एत्मादपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत अवैध कांच की फैक्ट्रियां संचालित होती हैं लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की नजर इस तरफ नहीं है किसी दिन गांव के गांव साथ हो जाएंगे घनी बस्तियों में चलने वाली फैक्ट्रियां बड़े हादसे का कारण बन सकती हैं। यमुनापार क्षेत्र मे कांच की फैक्ट्रियां संचालित की जा रही है। यदि कहा जाए तो एक तरफ घनी आबादी में फैक्ट्री चलाना वर्जित बताया जाता है। प्रशासन की आंखों के सामने घर-घर में कांच की फैक्ट्रियां चल रही है ।इतना ही नहीं कई फैक्ट्रियों में तो घरेलू सिलेंडर भी प्रयोग किए जा रहे हैं।
इन फैक्ट्रियों में कांच के खिलौने और चिलम केतली प्लेट शेर हाथी घोड़ा ऊंट बिल्ली कुत्ता आदि बनाएं जाते है। मरीजों के लिए ऑक्सीजन हो ना हो लेकिन इन्हें हर हालत में ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाती है। फैक्ट्रियों के रजिस्ट्रेशन भी नहीं है। लेकिन फिर भी यह ले दे के काम चल रहे है। अपना नाम ना छापने की शर्त पर पड़ोसियों ने बताया की रातों को हमें सोने नहीं देते है फैक्ट्रियों के अंदर से भद्दे भद्दे गानों की आवाज आती रहती है। अगर हम इसका विरोध भी करते हैं । तो फैक्ट्री संचालक काफी दबंग होने के चलते झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। पुराने टीवी टावर के पीछे भी कुछ ऐसा ही चल रहा है। इनके यहां प्रशासनिक कई लोगों का जाना आना भी लगा रहता है पिछले कुछ महीने पहले नाऊ की सराय में एक कांच की फैक्ट्री में घटना हुई थी ।जिसमें व्यक्ति घायल भी हुआ था खंदौली बरहन क्षेत्र में फैक्ट्री के अंदर सिलेंडर फटने से मौत भी हो चुकी हैं ।इससे प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया ।और फैक्ट्रियां बेखौफ बेधड़क चल रही है कालिंद्री बिहार श्रीनगर महावीर नगर टेडी बगिया नाऊ की सराय पुरा गोवर्धन पुरा लोधी धौरऊ खंदौली नगला चंदन पटवरी नवनीत नगर शोभा नगर बांस इंदिरा उस्मानपुर नगला लोधा आवलखेड़ा आदि गांव ऐसे हैं जहां किसी भी समय बड़ी घटना हो सकती है आगरा जलेसर रोड पर ऑक्सीजन प्लांट लगा हुआ है इस प्लांट से सबसे ज्यादा ऑक्सीजन कांच की अवैध फैक्ट्रियों के लिए सप्लाई होती है क्योंकि इन फैक्ट्रियों से मोटी रकम मिलती है ।ऐसा मालूम होता है। यमुनापार क्षेत्र बारूद के ढेर पर खड़ा है।प्रशासनिक अधिकारी भी गांधी जी के तीन बंदर बनकर बैठे हुए हैं अब देखना यह होगा प्रशासनिक अधिकारियों की आंखें कब खुलती है ।या फिर कॉलोनियों में ऐसे ही फैक्ट्रियां चलती रहेंगी। और कॉलोनी वासी डर के साए में कब तक ऐसे ही जीवन यापन करते रहेंगे यह सोचने का विषय है।
संवाददाता शकील अहमद के साथ यूपी हेह रामशरण कटियार की खास रिपोर्ट।