पत्रकारों का सम्मान व जनता का लगातार सम्मन करना भूल गए थे इस्पेक्टर आसीवन जिसको लेकर दो दिन पहले ही बड़ी प्रमुखता से शादाब अली द्वारा उठाया गया जहां आज एसएसपी उन्नाव द्वारा किए गए लाइन हाज़िर।
उन्नाव जिले में जब जब कप्तान बदले लिस्ट जारी होने से पहले ही शातिर इस्पेक्टर साहब 60 किमी दूर जाकर पहले ही लगा लेते हैं सांसद साहब के पास अपनी हाजरी।
इस्पेक्टर साहब को जब जब उन्नाव कप्तान बदले तब तक उनको अपने ट्रांसफर की भनक लगते ही कुर्सी बचाने हमेशा कामयाब हो जाते हैं चाहे 60 किलोमीटर दूर जाकर अपनी हाजरी देनी पड़े और चाहे उससे भी लंबी दौड़ लगानी पड़ी दौड़ लगाने पर लेकिन साहब उस दौड़ से भी पीछे नहीं हटते लेकिन उन्नाव जिले में दो से चार ही इंस्पेक्टर ऐसे हैं जो कि अपनी कुर्सी हमेशा जिस थाने में जाते हैं 2 से 3 साल का समय आराम से कार्य करते हैं बाकी बेचारे थाने की फाइलों को पढ़कर ही चलते बनते हैं डयूटी ज्वाइन के 2 से 3 माह का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाते हैं और फिर दौड़ लगा दी जाती है और उसका ट्रांसफर कर दिया जाता है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि उन्नाव जिले में जिसकी सेटिंग गेटिंग सांसद व विधायकों तक है तो वहीं अधिकारी व कर्मचारी जिले में ठीक पता है क्योंकि कई बार जनता के बीच में ऐसे भी सवाल उठे कि साफ-सुथरी छवि वाले अधिकारी व कर्मचारियों को जब जब काम करने का मौका मिला तब तब उन्होंने अपराधियों में भू माफियाओं से लेकर खनन माफियाओं पर लगाम लगाने की कोशिश की तब तब उसका विरोध कर कर उस अधिकारी का जिले में विधायकों व उनके चेले चपाटे द्वारा उनका ट्रांसफर बड़ी आसानी से कहीं ना कहीं करा दिया जाता है जिससे कि गरीब बेसहारा लोगों को न्याय नही मिल पाता है फिर उसको न्याय मिलने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन उसके बाद भी उस गरीब को न्याय की उम्मीद नहीं मिल पाती है अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि ऐसे मठाधीश अधिकारी व कर्मचारियों पर भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का हंटर चलेगा या नहीं।