ग्राम पंचायत सचिव की हिस्सेदारी से प्रधान ने मचा रखी लूट


सरकारी संपत्ति पर प्रधानों का हक पुराने खड़ंजे से निकली ईंटे प्रधान ने हड़पी

शादाब अली की रिपोर्ट


ग्राम पंचायत सचिव की हिस्सेदारी से प्रधान ने मचा रखी लूट


फतेहपुर चौरासी। उन्नाव। क्षेत्र के अंतर्गत एक ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान द्वारा आर सी सी सड़क बनवाने के दौरान पुराने खड़ंजे से निकली ईटों को निजी संपत्ति समझ अपने ही बाग की चहारदीवारी बनाने के उद्देश्य से बाग में जमा करा ली है। ग्राम पंचायत के सचिव की इस मामले में सहभागिता है या नहीं यह तो सरकारी जाँच में ही स्पष्ट होगा।

    फतेहपुर चौरासी विकास खण्ड की ग्राम पंचायत हुसैन नगर पट्टी कुजगवा परशुराम में दो माह पूर्व एक आर सी सी सड़क का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा कराया गया था, बताया जाता है कि उक्त मार्ग संजय के घर से सोभा के दरवाजे तक बनवाई गई थी ग्रामीणों के अनुसार इस रास्ते पर पहले खड़ंजा लगा हुआ था, ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिव द्वारा खड़ंजे को उखड़वाकर नई सड़क बनवा दी गई। बने नए मार्ग में घटिया स्तर की सामग्री का उपयोग किया गया, यही नहीं आर सी सी गिट्टी की बहुत ही पतली परत डाली गयी। पूर्व में लगे खड़ंजे की ईटों को ग्राम प्रधान द्वारा अपने निजी बाग में जमा कर लिया गया, सूत्र बताते हैं वह इन ईटों से अपने बाग की चहारदीवारी निर्माण में उपयोग कर रहा है। ग्राम प्रधान द्वारा सरकारी ईटों को अपनी संपत्ति समझ लेना कोई नयी बात नहीं है परन्तु ग्राम पंचायत के सचिव की इस मामले में निष्क्रियता उनकी कार्य शैली पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है। बताते चले प्रधान के रसूख के चलते क्षेत्र के उच्च अधिकारी भी गांव में हो रहे गड़बड़ पर गुपचुप समझौता कर लेते हैं। फतेहपुर 84 कि अक्सर ग्राम सभाओं में अधिकारी गुपचुप तरीके से अक्सर समझौता कर कर प्रधानों को बढ़ावा दे रहे हैं और इतना ही नहीं अभी पंचायत भवनों में भी आई 35 लाख से लेकर18 लाख की रकम के पंचायती भवन को भी 4 से ₹5 की लागत लगाकर बाकी सब मंत्रियों की सांठगांठ से हजम क्योंकि उन्नाव जिले में अक्सर ग्राम पंचायतों में प्रधानों द्वारा लगातार डाका डालने के बाद भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को धूमिल करने में मंत्री सेकेट्री कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं अगर इसकी जांच ग्राम पंचायतों में प्रधानों के बने हुए आसपास के 15,से 20 घर छोड़ के अगर आगे के हालात देख लिए जाएं तो बस से बदतर ही नजर आएंगे क्योंकि सारा खेल प्रधानों के कमरे में बैठकर खेला जाता है और वही से अधिकारी चलता बनता है क्योंकि आगे जाने तक की नौबत ही नहीं आती क्योंकि वह ब्लॉक में बैठे मंत्री की होती है 50,50 की हिसेदारी ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को जिले स्तर से इन सभी विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों की अगर जांच करा दी जाए जैसे पहले भी कई ग्राम पंचायतों के प्रधानों को नोटिस के साथ-साथ प्रधानी सस्पेंड की गई हैं वही हाल फिर हो जाएगा और इतना ही नहीं बड़े-बड़े घोटालों का पर्दाफाश हो जाएगा लेकिन पर्दाफाश करने के लिए भी ऊपर तक सेटिंग के बल पर कुछ नहीं किया जाता है ग्राम पंचायत में यह खेल कब बन्द होगा यह भविष्य के गर्भ में है।

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