कद्दावर नेता त्रिभुवन दत्त ने हाथी छोड़ की साइकिल की सवारी जिले की राजनीति में नये युग का सूत्रपात


अंबेडकरनगर 27 अक्टूबर:- सूबे में बसपा के सूर्य का उदय कराने वाले अम्बेडकरनगर जिले में ही उसका पराभव शुरू हो गया है। नब्बे के दशक में बसपा का गढ़ बने जिले में फिलहाल सिफर पर चल रही बसपा अब अन्तिम सांस गिनने की ओर चल रही है। इसका भान मंगलवार को तब हुआ जब बाफसेफ काल से जुड़े उसके कद्दावर नेता त्रिभुवन दत्त ने बसपा को बाय-बाय बोल दिया । साथ ही सपा को हाय-हाय बोलकर हाथी से उतर कर साइकिल पर सवार हो गये।


त्रिभुवन दत्त ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत कर अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत की थी। इसके बाद वह जिला पंचायत के अध्यक्ष बनें। 1995 में अम्बेडकरनगर जिले का सृजन होने के उपरान्त बसपा प्रमुख मायावती ने उस समय के अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर संसद में प्रवेश किया था। बाद में मायावती के त्यागपत्र देने के बाद हुए उपचुनाव में त्रिभुवन दत्त को प्रत्याशी बनाया गया था। उपचुनाव में भी जीत दर्ज कर वह बसपा प्रमुख के बेहद करीब आ गये। इसके बाद उनका राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया तथा उन्हें कई मण्डलों का कोआर्डिनेटर बनाया गया। त्रिभुवन दत्त ने आलापुर विधानसभा सीट से विधानसभा का चुनाव भी जीता। बसपा संगठन को मजबूत करने व सत्ता के शिखर तक पंहुचाने में त्रिभुवन दत्त की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बसपा में वह नसीमुद्दीन सिद्दिकी के खास माने जाते रहे हैं। बसपा से नसीमुद्दीन की विदाई होने के साथ ही त्रिभुवन दत्त का राजनीतिक कद भी कमजोर होने लगा था तथा वह जिले के धुरंधर बसपा नेताओं के चौकड़ी के निशाने पर आ गये थे। अम्बेडकरनगर में बसपा में चल रहे अर्न्तद्वंद के निशाने पर हमेशा त्रिभुवन दत्त ही रहे।उनके बढ़ते राजनीतिक कद को जिले के बसपा नेता हजम नही कर पा रहे थे। बीते कुछ समय से उन्हें धीरे-धीरे पार्टी में हासिये पर लाकर खड़ा कर दिया गया। अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए अन्ततः उन्होंने बसपा को छोड़कर सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इससे कम से कम आलापुर विधानसभा क्षेत्र में बसपा को करारा झटका लगा है। देखना यह है कि त्रिभुवन दत्त के पाला बदलने से आलापुर विधानसभा क्षेत्र में बसपा का हमसफर अब कौन होगा।

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