कृपया एक मिनट का समय निकालकर लेख को अन्त तक जरूर पढें।🙏 साथियों भारत कृषि प्रधान देश है ऎसा हम किताबों में पढते आए हैं भाषणों में सुनते आए हैं।लेकिन जमीन की हकीकत कुछ और ही है। किताबों में लिखने वाले साहब, लच्छेदार भाषण देने वाले नेता जी शहरों की चकाचौंध में रहते हैं किसानों के बीच नहीं।और जबतक आप किसानों के बीच नहीं रहेंगे तबतक आप उनके दुख दर्द को कैसे समझियेगा???_
एक तरफ प्रधानमंत्री जी मेक इन इण्डिया, आत्मनिर्भर भारत की अपील करते हैं दूसरी तरफ कृषि प्रधान देश भारत में विदेशों से फूल मंगाकर भारत के किसानों का उपहास उडाते हैं। मा० प्रधानमंत्री सहित सभी हुक्मरान जवाब दें। क्या भारत के किसान फूल देने में सक्षम नहीं थे? यदि सक्षम हैं तो फिर विदेश से फूल लाने की जरूरत क्यों पडी?
किसान जिस गाँव में रहता है वहाँ स्कूल कालेज हैं कि नहीं? वहाँ सड़क है कि नहीं? किसान के गाँव में अस्पताल किस स्तर का है? उसमे कितने डाक्टर हैं?किसान के गांव में बिजली है कि नहीं? यदि बिजली है भी, तो 24 घण्टों में कितने घण्टे बिजली मिल रही है? किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए उस क्षेत्र में कितने सरकारी ट्यूबवेल हैं? किसान की सब्जी,फल, फूल बेचने के लिए उसके गाँव से कितनी दूर पर मण्डी है? किसान को कीटनाशक, दवाएं,खाद, उर्वरक किस गुणवत्ता की,किस दाम में मिल रही हैं। ऎसे हजारों जमीनी प्रश्न हैं जिनको विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा में उठाए जाने की जरूरत है। किसानों के मुद्दों को न्यूज चैनल अपनी हेडलाइन कब बनाएगें? किसानों के दर्द को कब समझियेगा? किसानों की आत्महत्या कब रुकेगीं???आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं।
शाक्य बीरेन्द्र मौर्य
भारत के किसान भी फ़ूल दे सकते हैं इससे आत्म निर्भर भारत बनता
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