काशी कबहुँ न छोड़िये विश्वनाथ के धाम, मरने पर गंगा मिले जियते लँगड़ा आम

बा रे..लँगड़ा बा…! किस्मत जगल-बाबा के भोग लगल

वाराणसी :- काशीपुराधिपति भगवान भोलेनाथ से बड़ा खाटी बनारसी कोई दूसरा नहीं और इसलिये काशीवासी भी अपनी अपने आराध्य की पसन्द का बखूबी ध्यान रखते है।


सावनभर कोरोना के चलते जलशायी देवता का अरघा जल से भले ही न डूबा हो लेकिन आज बनारसी लँगड़े आम से लबालब भर दिया गया। आज बाबा ने छक कर बनारसी लँगड़े का लुत्फ उठाया।

हम बनारसी हमेशा से बाबा में अपने बाबा को देखते है। इसलिये उनकी पसंद का हर एक सामान पान, भांग, गांजा सब उनको अर्पित करते हैं।

नीलकंठ का अरघा आकंठ लँगड़े आम से भरा हुआ है और निश्चित मानिये कि हलाहल विष अपने कंठ में उतारने वाले बाबा लँगड़े आम की मिठास से सराबोर हो गये है। इसीलिए बाबा काशी विश्वनाथ काशी के भक्तों का विशेष ख्याल रखते हैं और  काशी के हर वक्त के जवान पर  हमेशा हर हर महादेव जय भोले भंडारी बाबा का नाम हमेशा रहता है।



संवाददाता :- रवि कौशिक वाराणसी

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