प्रेसक्लब अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी ने मीडिया कर्मियों के साथ एएसपी से की मुलाकात
सूबे की सरकार द्वारा अपराध पर अंकुश लगाने में कितने भी प्रयास किये जाय किन्तु खांकी की कारस्तानी से संभव होते नहीं दिखाई पड़ रहा है। सत्ता पक्ष के नेता व पत्रकार अपराधी नजर आ रहे हैं। इसकी सच्चाई के लिए अंबेडकरनगर काफी है जो पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी के गुडवर्क पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि सीएम के पद पर जैसे ही योगी आदित्यनाथ 2017 में आसीन हुये उनके एजेण्डे में अपराधी निशाने में रहे। इस पर अंकुश लगाने के लिए समीक्षा बैठकें आयोजित की गयी और पुलिस अधीक्षकों को कड़े निर्देश दिये गये कि अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही न होने पर जिम्मेदारी व जबाबदेही सुनिश्चित होगी।
इसका अमल कुछ दिन तो देखा गया लेकिन धीरे-धीरे स्थिति काफी बिगड़ती गयी। जिलों में लूट, हत्या, बलात्कार व छिनैती जैसे संगीन अपराध बढ़ गये हैं। इधर कानपुर में दुर्दांन्त अपराधी विकास दूबे व उसके शूटरों द्वारा छापेमारी करने गये सीओ सहित 8 पुलिस कर्मियों पर गोलियों की बौछार से मौत से सीएम योगी नेे फिर ठोस कदम उठाया है और क्लीन अभियान चलाने का फरमान जारी किया है।
इस आदेश से भले ही और जिलों में पुलिस की कार्यप्रणाली में तेजी आयी हो लेकिन अंबेडकरनगर में कोई असर नहीं है। अपराधी बेखौफ घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, थानों की पुलिस दलालों के चंगुल में फंसी है। इस तरह की खबरे भी सोशल मीडिया पर आये दिन वायरल हो रही है। ऐसी खबरों में 6 माह का रिकार्ड उठाकर देखा जाय तो इसमें ज्यादातर भाजपाइयों को पुलिस ने प्रताड़ित किया है। इसके बाद मीडिया कर्मी निशाने पर हैं।
मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक वरिष्ठ पत्रकार की खबर सुर्खियों में है जिसमें प्रेसक्लब के अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी बेवाना पुलिस से पीड़ित पत्रकार व अन्य पदाधिकारियों के साथ अपर पुलिस अधीक्षक अवनीश कुमार मिश्र से वार्ता कर रहे हैं। हालाकि इस मामले को एएसपी ने गंभीरता से लिया है और टीम गठित कर जिसमें पत्रकार व महकमा के कुल 7 रखें गये है जिन्हे अविलम्ब वरिष्ठ पत्रकार के साथ दुव्र्यवहार की रिपोर्ट देने को कहा गया है।
सूबे की सरकार द्वारा अपराध पर अंकुश लगाने में कितने भी प्रयास किये जाय किन्तु खांकी की कारस्तानी से संभव होते नहीं दिखाई पड़ रहा है। सत्ता पक्ष के नेता व पत्रकार अपराधी नजर आ रहे हैं। इसकी सच्चाई के लिए अंबेडकरनगर काफी है जो पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी के गुडवर्क पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि सीएम के पद पर जैसे ही योगी आदित्यनाथ 2017 में आसीन हुये उनके एजेण्डे में अपराधी निशाने में रहे। इस पर अंकुश लगाने के लिए समीक्षा बैठकें आयोजित की गयी और पुलिस अधीक्षकों को कड़े निर्देश दिये गये कि अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही न होने पर जिम्मेदारी व जबाबदेही सुनिश्चित होगी।
इसका अमल कुछ दिन तो देखा गया लेकिन धीरे-धीरे स्थिति काफी बिगड़ती गयी। जिलों में लूट, हत्या, बलात्कार व छिनैती जैसे संगीन अपराध बढ़ गये हैं। इधर कानपुर में दुर्दांन्त अपराधी विकास दूबे व उसके शूटरों द्वारा छापेमारी करने गये सीओ सहित 8 पुलिस कर्मियों पर गोलियों की बौछार से मौत से सीएम योगी नेे फिर ठोस कदम उठाया है और क्लीन अभियान चलाने का फरमान जारी किया है।
इस आदेश से भले ही और जिलों में पुलिस की कार्यप्रणाली में तेजी आयी हो लेकिन अंबेडकरनगर में कोई असर नहीं है। अपराधी बेखौफ घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, थानों की पुलिस दलालों के चंगुल में फंसी है। इस तरह की खबरे भी सोशल मीडिया पर आये दिन वायरल हो रही है। ऐसी खबरों में 6 माह का रिकार्ड उठाकर देखा जाय तो इसमें ज्यादातर भाजपाइयों को पुलिस ने प्रताड़ित किया है। इसके बाद मीडिया कर्मी निशाने पर हैं।
मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक वरिष्ठ पत्रकार की खबर सुर्खियों में है जिसमें प्रेसक्लब के अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी बेवाना पुलिस से पीड़ित पत्रकार व अन्य पदाधिकारियों के साथ अपर पुलिस अधीक्षक अवनीश कुमार मिश्र से वार्ता कर रहे हैं। हालाकि इस मामले को एएसपी ने गंभीरता से लिया है और टीम गठित कर जिसमें पत्रकार व महकमा के कुल 7 रखें गये है जिन्हे अविलम्ब वरिष्ठ पत्रकार के साथ दुव्र्यवहार की रिपोर्ट देने को कहा गया है।