कोई टाइटल नहीं

दिल्ली सरकार के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में भरोसा दिया कि दिल्ली के बाहर से आने वाले मरीजों को सील बॉर्डर के चलते रोका नहीं जाएगा, जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से इस बाबत साफ-साफ शब्दों में निर्देश जारी करने को कहा है. दिल्ली सरकार के वकील का दिल्ली हाईकोर्ट में यह बयान एक तरह से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस बयान से यू-टर्न है, जिसमें केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली में बाहर के मरीज़ इलाज करवाने दिल्ली आ गएं, तो सारे बेड भर जाएंगे, इसी वजह से बॉर्डर सील कर रहे हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि दिल्ली देश की राजधानी है और यहां पर ना सिर्फ दिल्ली सरकार के बल्कि केंद्र सरकार के भी बड़े और नामी अस्पताल मौजूद है. ऐसे में दिल्ली सरकार का यह आदेश देश के बाकी प्रदेशों के मरीजों को उनके अधिकार से वंचित कर रहा है. क्योंकि इस आदेश के चलते अब दूसरे प्रदेशों के मरीज दिल्ली के अस्पतालों में इलाज करवाने नहीं आ सकते क्योंकि बॉर्डर को सील कर दिया गया है. लिहाजा सरकार का यह फैसला संवैधानिक तौर पर ठीक नहीं है.

दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि मरीजों के दिल्ली में आने और इलाज करवाने पर कोई बंदिश नहीं है. हालांकि बाहर से आने वाले मरीजों को ई पास लेना होगा. ई पास मिलने में मरीजों को दिक्कत नहीं होगी.

याचिका पर सुनवाई करते हुए और दिल्ली सरकार की दलीलों को सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह इस बाबत साफ-साफ शब्दों में अपनी वेबसाइट पर निर्देश जारी करें. जिसमें यह बताएं कि दिल्ली के बाहर जाने वाले मरीज कैसे हैं ई पास लेकर अपना इलाज करवाने के लिए दिल्ली आ सकते हैं. दिल्ली सरकार को जानकारी आज शाम तक ही देनी होगी.

इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ये कहते हुए दिल्ली के बॉर्डर को 1 हफ्ते के लिए सील करने का आदेश जारी किया था कि दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाएं इतनी अच्छी हैं की बाहर के मरीज़ भी दिल्ली में इलाज करवाने आ जाएंगे और अगर ऐसा हुआ तो सारे बेड भाग जाएंगे. यही वजह बताते हुए बॉर्डर को 1 हफ्ते के लिए सील करने का फैसला लिया गया. केजरीवाल ने इस बाबत जनता से सुझाव मांगे थे।

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