जाच के दायरे में 70 से अधिक लिपिक भी
मऊ जिले में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर रहे 64 शिक्षकों ने सरकारी खजाने को जमकर चूना लगाया है। फर्जी शिक्षकों ने वेतन के तौर पर 6 करोड़ रुपए की धनराशी डकार गए। अब बर्खास्तगी के बाद रिकवरी का आदेश दिया गया है। 6 करोड़ रुपए की वसूली के लिए अब कुर्की की जाएगी। डीएम ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि इन फर्जी शिक्षकों पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई होगी। साथ ही 6 करोड़ रुपए की रिकवरी के लिए भी नोटिस जारी की गई थी। जिसका जवाब नहीं मिला है, लिहाजा अब कुर्की की कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी ने बताया कि सरकारी अभिलेखों के गायब होने के मामले में टीमें गठित कर दी गई हैं। 70 से अधिक लिपिक जांच के दायरे में हैं। अगर दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। डीएम ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि जिले में लंबे समय से कुछ शिक्षक फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे थे। सरकारी धन का बखूबी उपयोग कर रहे थे। इतना ही नहीं, इनके दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा रहा। कई लिपिक भी इसमें शामिल रहे हैं। इसकी जांच की जा रही है।
अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद हो रही है जांच
ममता राय के नाम पर नौकरी कर रही थी रम्भा पांडेय
मऊ में ममता राय के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। पता चला है कि बलिया की रहने वाली ममता राय के दस्तावेज पर बलिया की ही रहने वाली रम्भा पांडेय मऊ में वर्ष 2000 से नौकरी कर रही थी। वह महाराजगंज से ट्रांसफर लेकर आई थी। मामले के खुलासे के बाद रम्भा फरार हो गई है। उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है, वहीं एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।
गौरतलब है कि अनामिका शुक्ला के नाम पर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में काम कर रही फर्जी शिक्षिकाओं के पकड़े जाने के बाद प्रदेश की योगी सरकार ने सभी शिक्षकों के जांच के आदेश दिए थे। इसी क्रम में बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग के साढ़े छह लाख शिक्षकों की जांच हो रही है। जांच में यूपी के कई जिलों से शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेखों के माध्यम से नौकरी कर रहे शिक्षकों का खुलासा लगातार हो रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले इन शिक्षकों से वसूली कैसे होगी?
मऊ जिले में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी कर रहे 64 शिक्षकों ने सरकारी खजाने को जमकर चूना लगाया है। फर्जी शिक्षकों ने वेतन के तौर पर 6 करोड़ रुपए की धनराशी डकार गए। अब बर्खास्तगी के बाद रिकवरी का आदेश दिया गया है। 6 करोड़ रुपए की वसूली के लिए अब कुर्की की जाएगी। डीएम ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि इन फर्जी शिक्षकों पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई होगी। साथ ही 6 करोड़ रुपए की रिकवरी के लिए भी नोटिस जारी की गई थी। जिसका जवाब नहीं मिला है, लिहाजा अब कुर्की की कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी ने बताया कि सरकारी अभिलेखों के गायब होने के मामले में टीमें गठित कर दी गई हैं। 70 से अधिक लिपिक जांच के दायरे में हैं। अगर दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। डीएम ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि जिले में लंबे समय से कुछ शिक्षक फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे थे। सरकारी धन का बखूबी उपयोग कर रहे थे। इतना ही नहीं, इनके दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा रहा। कई लिपिक भी इसमें शामिल रहे हैं। इसकी जांच की जा रही है।
अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद हो रही है जांच
ममता राय के नाम पर नौकरी कर रही थी रम्भा पांडेय
मऊ में ममता राय के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। पता चला है कि बलिया की रहने वाली ममता राय के दस्तावेज पर बलिया की ही रहने वाली रम्भा पांडेय मऊ में वर्ष 2000 से नौकरी कर रही थी। वह महाराजगंज से ट्रांसफर लेकर आई थी। मामले के खुलासे के बाद रम्भा फरार हो गई है। उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है, वहीं एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।
गौरतलब है कि अनामिका शुक्ला के नाम पर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में काम कर रही फर्जी शिक्षिकाओं के पकड़े जाने के बाद प्रदेश की योगी सरकार ने सभी शिक्षकों के जांच के आदेश दिए थे। इसी क्रम में बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग के साढ़े छह लाख शिक्षकों की जांच हो रही है। जांच में यूपी के कई जिलों से शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेखों के माध्यम से नौकरी कर रहे शिक्षकों का खुलासा लगातार हो रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले इन शिक्षकों से वसूली कैसे होगी?