अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर योग गुरु ज्योति बाबा का दावा डब्ल्यूएचओ के मुताबिक विश्व में सबसे ज्यादा डिप्रेशन के रोगी भारत में रहते हैं
कानपुर 20 जून । डिप्रेशन के चलते आत्महत्या की समस्या से छुटकारा पाने का जरिया बनाने वालों की आत्मिक यात्रा अधिक लंबी और कष्टप्रद बन जाती है कार्मिक थ्योरी के अनुसार अगले जन्म में ऐसे व्यक्ति को फिर वहीं से शुरुआत करनी पड़ती है जहां उसने अपना सफर अधूरा छोड़ा था उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर नशा हटाओ कोरोना मिटाओ योग अपनाओ पेड़ लगाओ अभियान के तहत वेबीनार शीर्षक "क्या डिप्रेशन, कुंठा, आत्महत्या से उबारने में ध्यानयोग उपयोगी है" पर अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कही। ज्योति बाबा ने कहा कि कोरोनावायरस से मानव को उबारने के लिए ध्यान योग पद्धति एक बड़ी भूमिका निभा सकती है मेडिटेशन करने वाले साधक के जीवन से कुंठा,हताशा,निराशा माइनस हो जाती है और सकारात्मक सोच,दृढ़ इच्छाशक्ति और कुछ समाज के लिए नया कर गुजरने की क्षमता अत्यधिक बढ़ जाती है जिससे नशा एवं मांसाहार मुक्त जीवन का स्वामी बन कर व्यक्ति स्वस्थ मस्तिष्क एवं शरीर का स्वामी बन जाता है ज्योति बाबा ने बताया कि आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या की प्रवृत्ति अब एक भयावह रूप लेती जा रही है, बड़ी-बड़ी फिल्म एक्टर,डायरेक्टर जैसे गुरुदत्त, एक्ट्रेस जिया खान, नफीसा जोसेफ, सिल्क स्मिता आदि और वर्तमान में युवा दिलों की धड़कन एक्टर सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या कर लेते हैं कहीं ना कहीं लाइफ में सब कुछ और ज्यादा पा लेने की ललक, ना मिलने पर विद्रोह में ड्रग्स का सेवन, अकेलापन, बढ़ती कंपलेक्सिटी,वीक होते सपोर्ट सोशल सिस्टम इत्यादि हैं,डिप्रेशन यानी अवसाद जब हमारे जीवन में उल्लास, उमंग, जोश, जुनून को हम जीवन में बरकरार नहीं रख पाने की स्थिति में हो जाते हैं उस स्थिति से उबारने में ध्यान योग 100% मददगार बन जाती है। डॉ मनीष बिश्नोई सीनियर डेंटल सर्जन ने कहा कि हमारे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर्स होते हैं जो विशेष रूप से सिरोटिनीन, डोपामाइन,नोरेपाइनफ्रीरिन खुशी और आनंद की भावनाओं को प्रभावित करते हैं। लेकिन डिप्रेशन की स्थिति में यह असंतुलित होकर व्यक्ति को असहज,बीमार और आत्महत्या की प्रवृत्ति से भर देते हैं। डॉ अजीत सिंह ने कहा कि विश्व में होने वाले सुसाइड्स में हमारे देश का शेयर 17% है इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन आज के युवा में स्ट्रेस से जूझने में अत्यधिक कमी आई है इसीलिए साइकोलॉजिस्ट कह रहे हैं कि हमारे एजुकेशन सिस्टम में ऐसे तरीके अडॉप्ट किए जाएं, ताकि बच्चे व युवा वर्तमान दबाव का बेहतर तरीके से सामना कर सके ।वेबीनार का संचालन 3m एंटरटेनमेंट के डायरेक्टर अमित गुप्ता व धन्यवाद सोशल रिफॉर्मर राकेश चौरसिया ने दिया ।
मुन्ना चौरसिया
मीडिया प्रभारी
सोसाइटी योग ज्योति इंडिया
कानपुर 20 जून । डिप्रेशन के चलते आत्महत्या की समस्या से छुटकारा पाने का जरिया बनाने वालों की आत्मिक यात्रा अधिक लंबी और कष्टप्रद बन जाती है कार्मिक थ्योरी के अनुसार अगले जन्म में ऐसे व्यक्ति को फिर वहीं से शुरुआत करनी पड़ती है जहां उसने अपना सफर अधूरा छोड़ा था उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर नशा हटाओ कोरोना मिटाओ योग अपनाओ पेड़ लगाओ अभियान के तहत वेबीनार शीर्षक "क्या डिप्रेशन, कुंठा, आत्महत्या से उबारने में ध्यानयोग उपयोगी है" पर अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कही। ज्योति बाबा ने कहा कि कोरोनावायरस से मानव को उबारने के लिए ध्यान योग पद्धति एक बड़ी भूमिका निभा सकती है मेडिटेशन करने वाले साधक के जीवन से कुंठा,हताशा,निराशा माइनस हो जाती है और सकारात्मक सोच,दृढ़ इच्छाशक्ति और कुछ समाज के लिए नया कर गुजरने की क्षमता अत्यधिक बढ़ जाती है जिससे नशा एवं मांसाहार मुक्त जीवन का स्वामी बन कर व्यक्ति स्वस्थ मस्तिष्क एवं शरीर का स्वामी बन जाता है ज्योति बाबा ने बताया कि आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या की प्रवृत्ति अब एक भयावह रूप लेती जा रही है, बड़ी-बड़ी फिल्म एक्टर,डायरेक्टर जैसे गुरुदत्त, एक्ट्रेस जिया खान, नफीसा जोसेफ, सिल्क स्मिता आदि और वर्तमान में युवा दिलों की धड़कन एक्टर सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या कर लेते हैं कहीं ना कहीं लाइफ में सब कुछ और ज्यादा पा लेने की ललक, ना मिलने पर विद्रोह में ड्रग्स का सेवन, अकेलापन, बढ़ती कंपलेक्सिटी,वीक होते सपोर्ट सोशल सिस्टम इत्यादि हैं,डिप्रेशन यानी अवसाद जब हमारे जीवन में उल्लास, उमंग, जोश, जुनून को हम जीवन में बरकरार नहीं रख पाने की स्थिति में हो जाते हैं उस स्थिति से उबारने में ध्यान योग 100% मददगार बन जाती है। डॉ मनीष बिश्नोई सीनियर डेंटल सर्जन ने कहा कि हमारे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर्स होते हैं जो विशेष रूप से सिरोटिनीन, डोपामाइन,नोरेपाइनफ्रीरिन खुशी और आनंद की भावनाओं को प्रभावित करते हैं। लेकिन डिप्रेशन की स्थिति में यह असंतुलित होकर व्यक्ति को असहज,बीमार और आत्महत्या की प्रवृत्ति से भर देते हैं। डॉ अजीत सिंह ने कहा कि विश्व में होने वाले सुसाइड्स में हमारे देश का शेयर 17% है इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन आज के युवा में स्ट्रेस से जूझने में अत्यधिक कमी आई है इसीलिए साइकोलॉजिस्ट कह रहे हैं कि हमारे एजुकेशन सिस्टम में ऐसे तरीके अडॉप्ट किए जाएं, ताकि बच्चे व युवा वर्तमान दबाव का बेहतर तरीके से सामना कर सके ।वेबीनार का संचालन 3m एंटरटेनमेंट के डायरेक्टर अमित गुप्ता व धन्यवाद सोशल रिफॉर्मर राकेश चौरसिया ने दिया ।
मुन्ना चौरसिया
मीडिया प्रभारी
सोसाइटी योग ज्योति इंडिया