तीन विकास खंडों के नौ और सहायक विकास अधिकारी पंचायत के खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज

अम्बेडकर नगर। जनपद के विकास खंडों में कंटीजेंसी घोटाले में गुरुवार देर रात तीन विकास खंडों के नौ और सहायक विकास अधिकारी पंचायत के खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज कराया गया है। अब तक सात विकास खंडों में हुए कंटीजेंसी घोटाले में कुल 17 एडीओ पंचायत के खिलाफ एक करोड़ 71 लाख रुपये गबन का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने आरोपी एडीओ पंचायत को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी तेज कर दी है। विकास खंडों में कंटीजेंसी मद में घोटाला सामने आने के बाद ताबड़तोड़ एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। इसी क्रम में गुरुवार की देर रात रामनगर विकास खंड के बीडीओ ने एडीओ पंचायत रमाकांत मिश्र के खिलाफ 15 लाख 71 हजार रुपए के गबन का मुकदमा दर्ज कराया है। भीटी में खंड विकास अधिकारी अनुपम सिंह ने गुरुवार की देर रात में ही एडीओ पंचायत लाल साहब सिंह, पंकज मोहन मिश्र, महेश प्रसाद कनौजिया, धनजीत और दिनेश चंद्र श्रीवास्तव के खिलाफ 20 लाख 46 हजार रुपए गबन का मुकदमा भीटी थाने में दर्ज कराया। उन्होंने बताया कि इस दौरान एडीओ पंचायत रहे नरेंद्र बहादुर सिंह इस समय दिवंगत हो गए हैं, जबकि हंस प्रकाश सिंह ने इस खाते का संचालन नहीं किया था। अकबरपुर विकासखंड में हुए कंटीजेंसी घोटाले में जिला विकास अधिकारी/बीडीओ वीरेंद्र सिंह ने आठ लाख रुपए से अधिक के गबन का मुकदमा एडीओ पंचायत धनजीत, बृजेश कुमार सिंह और गुलाबचंद के विरुद्ध अकबरपुर कोतवाली में दर्ज कराया। इससे पहले गुरुवार को दिन में जलालपुर में एडीओ पंचायत रमाकांत मिश्र के खिलाफ 12 लाख रुपये, बसखारी में पूर्व एडीओ पंचायत उमाशंकर यादव और वर्तमान एडीओ पंचायत जयप्रकाश सिंह के खिलाफ 10 लाख से अधिक के गबन का मुकदमा बीडीओ ने दर्ज कराया। जबकि भियांव विकास खंड में बीडीओ ने सात लाख 71 हजार रुपए के गबन का मुकदमा एडीओ पंचायत ओमकार नाथ मिश्र और उमाशंकर यादव के खिलाफ दर्ज कराया है। ताबड़तोड़ दर्ज हुए मुकदमें के बाद पंचायत और अन्य संबंधित विभाग के अधिकारियों में खलबली मची हुई है। बताया जा रहा है कि बसखारी पुलिस ने एडीओ पंचायत जयप्रकाश सिंह को हिरासत में ले लिया था, लेकिन उनके परिवार में शादी होने के कारण उन्हें उच्चाधिकारियों से बात के बाद छोड़ा गया है। अन्य आरोपियों की तलाश पुलिस कर रही है। एक अधिकारी ने बताया कि जिले के सात विकास खंडों में हुए घोटाले में कुल 17 वर्तमान एवं पूर्व एडीओ पंचायत के खिलाफ गबन और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। इसमे कुल एक करोड़ 71 लाख से अधिक का गबन सामने आया है। कुछ ऐसे भी एडीओ पंचायत हैं जिनके खिलाफ कई ब्लाकों में तैनाती के दौरान मुकदमा दर्ज किया गया है। घोटाले का खुलासा होने के बाद तमाम जिम्मेदार अधिकारी खामोश हैं। इस बारे में कोई भी बात करने पर वो गोलमोल जवाब दे रहे हैं।बीडीओ को क्यों बचा रहा है प्रशासन :कंटीजेंसी घोटाले में खंड विकास अधिकारियों की भूमिका होने के बाद भी उनके खिलाफ मुकदमा न दर्ज कराना चर्चा का विषय बना हुआ है। विभाग के जानकार बताते हैं कि जब जिलाधिकारी की तरफ से सरकार का शासनादेश विकास खंडों में भेजा गया था तो इसका अनुपालन बीडीओ ने क्यों नहीं किया। शासनादेश के तहत कंटीजेंसी के तकनीकी एवं प्रशासनिक मद में एडीओ पंचायत और खंड विकास अधिकारी को संयुक्त रूप से बैंक खाता खुलवाकर संचालन करना था, लेकिन इस खाते पर अकेले ही एडीओ पंचायत काबिज हो गए। लोगों का कहना है कि जब खंड विकास अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी कि इसमें उनका संयुक्त हस्ताक्षर बैंक खाते में होना है तो फिर उन्होंने शासन के आदेश का पालन क्यों नहीं कराया? यदि एडीओ पंचायत इस बात को दरकिनार कर रहे थे तो उन्होंने इसकी शिकायत डीएम, मुख्य विकास अधिकारी या शासन से क्यों नहीं की। यही सवाल बार बार लोगों के जेहन में आ रहा है कि कहीं न कहीं इसमें खंड विकास अधिकारियों की भी अहम भूमिका रही है। ऐसे में उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार डीएम ने मामले में एडीओ पंचायत और बीडीओ को आरोपी बनाकर मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया था, लेकिन बीच में ही कुछ अधिकारियों ने इसमें बीडीओ का बचाव करते हुए केवल एडीओ पंचायत के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की सलाह दे दी। मजे की बात है कि अपनी गर्दन फंसते देख अपने बचाव में खंड विकास अधिकारियों ने खुद एडीओ पंचायतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। हालांकि सूत्रों के अनुसार डीएम ने खंड विकास अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा है। इस खबर की अभी पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन विकासखंड के अधिकारियों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकार अधिकारियों का कहना है कि यह तो वही बात हुई। अपनों पर रहम गैरों पर सितम...

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