अम्बेडकर नगर महरुआ। विद्युत उपकेंद्र महरुआ से जुड़े उपभोक्ताओं को सुचारु बिजली आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। इसे लेकर उपभोक्ताओं में नाराजगी व्याप्त है। उपभोक्ताओं की मानें तो एक वर्ष से ओवरलोडिंग बढ़ने के चलते समस्या भी बढ़ी है। इसे लेकर कई बार पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारियों को लिखित व मौखिक तौर पर सूचित भी किया जा चुका है, लेकिन अब तक आपूर्ति व्यवस्था को सुचारू नहीं कराया जा सका है।
नतीजा यह है कि निर्धारित रोस्टर 18 घंटे के सापेक्ष औसतन 10 घंटे ही जैसे तैसे आपूर्ति मिल पा रही। इससे खेती किसानी का कार्य प्रभावित होने के साथ साथ आम जनमानस को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
महरुआ विद्युत उपकेंद्र से पखनपुर, पांती, मंशापुर, सेमरी पहाड़पुर, बरामदपुर व बाहरपुर समेत दर्जनों गांवों की करीब 40 हजार आबादी को बिजली आपूर्ति होती है। समस्या यह है कि ओवरलोड होने के चलते आपूर्ति व्यवस्था बीते एक वर्ष से पटरी से उतर चुकी है। न तो बिजली आपूर्ति होने का और न ही सकनेे का कोई समय निर्धारित है। इसके अतिरिक्त कभी कभी लोवोल्टेज की भी समस्या से उपभोक्ताओं को जूझना पड़ता है।
उपभोक्ताओं की मानें तो निर्धारित रोस्टर 18 घंटे के सापेक्ष औसतन 10 घंटे की ही आपूर्ति जैसे तैसे मिल पा रही। नतीजा यह है कि एक तरफ जहां नागरिकों को पेयजल के लिए मुसीबत उठानी पड़ रही, वहीं खेती किसानी का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से हो रहीं बारिश के चलते किसानों को काफी हद तक राहत मिली है।
उपभोक्ता सियाराम, मुकेश, अंकित, रामसुमेर, जियाराम आदि का कहना है कि विद्युत आपूर्ति लंबे समय से बेपटरी हो चुकी है। रात 11 बजे से सुबह पांच बजे तक ही बिजली मिल पाना सुनिश्चित हो पाता है, जबकि दिन में चार से पांच घंटे से ज्यादा आपूर्ति नहीं हो पाती। जानकारी करने पर शटडाउन, ब्रेकडाउन व तार टूटने का हवाला देकर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया जाता है।
इसके अतिरिक्त क्षेत्र में लगे विद्युत उपकरण भी काफी जर्जर हो चुके हैं, जिसे बदलवाने की सुध जिम्मेदारों को नहीं है। इसी का नतीजा है कि आये दिन आपूर्ति में अवरोध उत्पन्न होता रहता है। नतीजा यह होता है कि कई व्यावसायिक गतिविधियां ठप होने के साथ ही मोबाइल चार्जिंग व अन्य जरूरी उपकरण काम करना बंद करते देते हैं। बिजली आपूर्ति को सुचारू करने की मांग पावर कार्पोरेशन के अधिकारियों व कर्मचारियों से कई बार की गई, लेकिन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। अधिशाषी अभियंता वीके पटेल ने बताया कि रोस्टर के अनुरूप आपूर्ति के सभी जरूरी प्रयास चल रहे हैं। अधिकतर समय रोस्टर के तहत आपूर्ति होती है
नतीजा यह है कि निर्धारित रोस्टर 18 घंटे के सापेक्ष औसतन 10 घंटे ही जैसे तैसे आपूर्ति मिल पा रही। इससे खेती किसानी का कार्य प्रभावित होने के साथ साथ आम जनमानस को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
महरुआ विद्युत उपकेंद्र से पखनपुर, पांती, मंशापुर, सेमरी पहाड़पुर, बरामदपुर व बाहरपुर समेत दर्जनों गांवों की करीब 40 हजार आबादी को बिजली आपूर्ति होती है। समस्या यह है कि ओवरलोड होने के चलते आपूर्ति व्यवस्था बीते एक वर्ष से पटरी से उतर चुकी है। न तो बिजली आपूर्ति होने का और न ही सकनेे का कोई समय निर्धारित है। इसके अतिरिक्त कभी कभी लोवोल्टेज की भी समस्या से उपभोक्ताओं को जूझना पड़ता है।
उपभोक्ताओं की मानें तो निर्धारित रोस्टर 18 घंटे के सापेक्ष औसतन 10 घंटे की ही आपूर्ति जैसे तैसे मिल पा रही। नतीजा यह है कि एक तरफ जहां नागरिकों को पेयजल के लिए मुसीबत उठानी पड़ रही, वहीं खेती किसानी का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से हो रहीं बारिश के चलते किसानों को काफी हद तक राहत मिली है।
उपभोक्ता सियाराम, मुकेश, अंकित, रामसुमेर, जियाराम आदि का कहना है कि विद्युत आपूर्ति लंबे समय से बेपटरी हो चुकी है। रात 11 बजे से सुबह पांच बजे तक ही बिजली मिल पाना सुनिश्चित हो पाता है, जबकि दिन में चार से पांच घंटे से ज्यादा आपूर्ति नहीं हो पाती। जानकारी करने पर शटडाउन, ब्रेकडाउन व तार टूटने का हवाला देकर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया जाता है।
इसके अतिरिक्त क्षेत्र में लगे विद्युत उपकरण भी काफी जर्जर हो चुके हैं, जिसे बदलवाने की सुध जिम्मेदारों को नहीं है। इसी का नतीजा है कि आये दिन आपूर्ति में अवरोध उत्पन्न होता रहता है। नतीजा यह होता है कि कई व्यावसायिक गतिविधियां ठप होने के साथ ही मोबाइल चार्जिंग व अन्य जरूरी उपकरण काम करना बंद करते देते हैं। बिजली आपूर्ति को सुचारू करने की मांग पावर कार्पोरेशन के अधिकारियों व कर्मचारियों से कई बार की गई, लेकिन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। अधिशाषी अभियंता वीके पटेल ने बताया कि रोस्टर के अनुरूप आपूर्ति के सभी जरूरी प्रयास चल रहे हैं। अधिकतर समय रोस्टर के तहत आपूर्ति होती है