इस समय कोरोना महामारी से भारत ही नहीं पूरा विश्व जूझ रहा है ऐसे में पूरा भारत लाकडाउन में है और कानपुर जैसे शहर में सांसद, विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में लाकडाउन की धज्जियां उड़ाई गई। जहां एक ओर पूरे भारत में शोसल डिस्टेसिंग की बात हो रही हैं। वहां कानपुर में शोभन सरकार (महन्त) के अन्तिम दर्शन के लिए हजारों की भीड इकट्ठा हो जाती है और शासन प्रशासन मूक दर्शक बनकर तमासा देखता है।
इसी तरह राजधानी दिल्ली में तबलीकी जमात के लोगों की भीड इकट्ठा हुई थी। तब देश की मीडिया ने साम्प्रदायिकता का माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोडी थी। लेकिन आज वही मीडिया मौन क्यों है? शासन प्रशासन दिल्ली में भी लाचार था और उत्तर प्रदेश के कानपुर में भी लाचार है। आप सिर्फ उन्हें ही धर्मान्ध न संमझें यहाँ तो दोनों तरफ भारी मात्रा में धर्मान्धों की टोली है।
दूसरी बात गंगा सफाई के नाम पर अरबों रुपये खर्च करने वाली सरकार जब एक सामान्य व्यक्ति को शव प्रवाहित नहीं करने देती। तो महन्त जी के शव को जल समाधि संविधान के किस अनुच्छेद के तहत दी गयी?? क्या आम नागरिकों के लिए अलग कानून है और साधू, महन्त लोगो के लिए अलग कानून की व्यवस्था है??? मा० प्रधानमंत्री जी, मा० मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश , मा० डी जी पी उत्तर प्रदेश ,माo मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश, मा०जिलाधिकारी महोदय कानपुर,माo जिलाधिकारी कानपुर देहात इस पूरे असंवैधानिक कृत्य के दोषियों पर कब और क्या कार्यवाही कर रहे हैं???
शाक्य बीरेन्द्र मौर्य