धर्मनिरपेक्ष भारत में धर्म विशेष के लोगों कब्जा

भारत (भा + रत = जहां प्रकाश निरन्तर बहता है) एक ऐसा देश जहां सदियों से विभन्न संस्कृतियों, सम्प्रदायों, धर्मों, जातियों, रंगों के लोग आपस में बड़े ही भाईचारे के साथ रहते आए हैं, जिसकी संस्कृति और सभ्यता ने पूरी दुनिया को अपना लोहा मनवाया है, जिस देश में अलग - अलग समय पर अनेकों महापुरुष (महान मानसिक चिकित्सक तथागत बुद्ध, महावीर प्रसाद, गुरु गोविंद, अखण्ड भारत निर्माता, सिकन्दर विजेता चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य, दुनिया के सर्वश्रेष्ठ महान प्रजापालक, "महान सम्राट अशोक", कबीर, फूले दम्पत्ति, बाबा साहब अम्बेडकर, भारत लेनिन बाबू जगदेव, ऊधम सिंह इत्यादि) दिए हैं, जिनकी गाथाएं विश्वविख्यात हैं, जिनको आदर्श मानकर दुनिया के तमाम देश चांद और मंगल पर पहुंच गए, हम उस "महान भारत" के निवासी हैं ।


यदि एक स्वस्थ्य राष्ट्र का निर्माण करना है तो राष्ट्र को धर्मनिरपेक्ष बनाना होगा, यह बात हमारे देश के संविधान निर्माताओं को भी पता थी, इसलिए हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष बनाया गया, लेकिन पिछले कुछ दशकों से, कुछ चालसाजों ने नया पैतरा शुरू किया जिसका शिकार हुए नवजवान, और देश के जवानों की रगों में धर्म रूपी रक्त चढ़ाना शुरू किया, अब यह रक्त जब युवकों के दिमाग में पहुंच गया है, जिसका असर इतना बुरा हुआ कि देश में चारों तरफ मानसिक रूप से अपंग धर्म के रखवाले घूम रहे हैं, कभी कोई सांसद कहता है कि भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करो तो कभी कोई मुख्यमंत्री, अब उन मूर्खो को यह पता नही है कि अपने धर्म को सुरक्षित रखने के लिए दूसरे धर्म को मारना नही बल्कि उसकी भी इज्जत करनी होती है, आज पूरे देश में धर्म के नसेड़ी भयंकर नशे में घूम रहे हैं उनको अच्छे - बुरे से कोई लेना देना नहीं है, उनको तो ये भी नही पता है कि जिनको वो आग लगाते हैं वो फैक्ट्री किनकी हैं, अब यह देश बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है, कभी राममंदिर के नाम पर दंगा, तो कभी गोधरा, तो कभी मुम्बई बम ब्लास्ट, तो कभी पुलवामा अटैक, तो कभी दिल्ली ।

         _शाक्य अरविन्द मौर्य_

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