नमन रमाबाई जी की जयंती पर....
रमा बाई जी जैसी आदर्श जीवनसंगिनी यदि हों तो दुनिया का हर जीवनसाथी निश्चय ही कामयाब होगा।रमा बाई जी शादी के बाद कितनी कठिन जिंदगी जी हैं इसका आभास शायद ही किसी को हो क्योकि उन्हें बिना पढ़े हम यही समझेंगे कि हम रमा बाई जी को केवल अम्बेडकर साहब की बीबी होने के कारण नमन कर रहे हैं।नाले के किनारे जैसे-तैसे शादी।पत्नी के रूप में सुख की प्राप्ति की बजाय असीम कष्ट को भोगना पर उफ़ न करना।पढ़ने के लिए अम्बेडकर साहब को छुट्टी देना,घर का सारा भार खुद उठाना,गोबर बीनकर उपला पाथ कर मुम्बई में बेचना और घर खर्च से लेकर इलाज का खर्च निकालना,यह सबकुछ किया था रमाबाई जी ने।
पति के स्वाभिमान और समाज की बेहतरी के लिए रमाबाई जी ने दवा के अभाव में अपने बेटे की मौत पर उफ़ भी नही किया।बेटे की मौत पर कफ़न के लिए पैसा न होने पर खुद का आँचल फाड़ डाला लेकिन चन्दा लगाने की पड़ोसियों की मंशा को ध्वस्त कर दिया।रमा बाई जी ने अम्बेडकर साहब को हर वक्त ढाढ़स और सम्बल प्रदान किया जिसकी बदौलत वे देश के अछूतों के उद्धारक और महानायक बन सके।
हम आज ऐसी त्यागमूर्ति रमा बाई जी की जयंती पर नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।