"व्यक्ति की मानसिकता"

आज जहां अधिकतम इंसान परेसान नजर आता है, अपनी परेसानी को कम करने या खत्म करने के हर सम्भव प्रयास कर रहा है, एक परेसानी को खत्म करने लिए वह परेसानियों का अंबार लिए चला आ रहा है, जिधर जाता है उधर लोग सिर्फ फायदा उठाते हैं, अब अपने देश में तो सर्वाधिक लोग बाबाओं ( जैसे - आसाराम, राम रहीम, नित्यानन्द आदि) के पास जाते हैं, जिनके पास खुद कितनी समस्याएं हैं यह स्वयं को नही पता है और कुछ दिन बाद जिनके काले कारनामे, अपराध कोर्ट में गिनाए जाते हैं, अब वह लोग आपकी समस्याओं का निदान कैसे कर सकते हैं  ???        यह एक बड़ा प्रश्न उठता है लेकिन परेसान इंसान कहा तर्क कर पाता है वो तो सिर्फ समाधान खोजता है और जिसके बदले में वो कोई भी कीमत चुकाने को तैयार रहता है, अब सोचने वाली बात यह है कि जो खुद एक समस्या है, उनके पास जाने से आपका और आपके परिवार का आर्थिक, मानसिक और शारिरिक विकास होगा शोषण ???

_कुछ लोग समाधान खोजने के लिए मोटिवेशनल क्लासों को जॉइन करते हैं, वहां भी कुछ लोग थोड़े बहुत दिनों के लिए कुछ मोटिवेट हो जाते है, लेकिन वहां जाने के लिए एक फीस चुकानी पड़ती है, क्योंकि इन परेसान बेरोजगारों से भी किसी का रोजगार चलता है, अब आप मोटिवेट हों या न हो, आपकी समस्या का समाधान हो या न हो लेकिन उनको फीस से मतलब होता है, इन परिस्थितियों में इंसान के लिए खुद को समझाना मुश्किल होता है तब महामानव बुद्ध की देशनाओं की आवश्यकता होती है कि 👇👇👇_

"मनुष्य कुछ भी नहीं उसका मस्तिष्क ही सब कुछ है"
"वह जैसा सोचता है वैसा बन जाता है"
अधिक इच्छा ही दुःख का कारण है

और आज के सारे मोटिवेशनल स्पीकर की स्पीच इसी पर होती हैं ।


       _शाक्य अरविन्द मौर्य_

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