हम सभी लोग लम्बे समय से देखते आ रहे हैं कि मनुवादी शक्तियों द्वारा आरक्षण को समाप्त करने की दिशा में लगातार प्रयास चल रहे थे और धीरे धीरे आरक्षण को कमजोर किया जा रहा था शिक्षा और सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर एक प्रकार से आरक्षण को छीना जा रहा था,लेकिन अब तो सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से यह कहा जा चुका है कि सरकारी नोकरियों एवं पदोन्नति में आरक्षण पाना संवैधानिक अधिकार नहीं है सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से आरक्षण को समूल समाप्त करने की ओर कदम माना जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी से आरक्षित वर्ग बेहद खफा और नाराज है एवम आरक्षण को बचाने के लिए 23 फरवरी को भारत बंद करने का निर्णय लिया जा चुका है।
अब देखना यह है कि बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन संघर्ष की बदौलत मिला हुआ आरक्षण बच पायेगा या फिर हमेशा हमेशा के लिए समाप्त कर दिया जायेगा,ये निर्धारित इस बात से होगा कि यदि 23 फरवरी का भारत बंद सफल होगा या फिर असफलता की भेंट चढ़ेगा।
2 अप्रैल 2018 का भारत बंद किसी व्यक्ति या संगठन ने नहीं बुलाया था इसलिए सम्पूर्ण आरक्षित वर्ग ने बढ़चढ़कर भाग लिया था लेकिन 23 फरवरी का भारत बंद एक संगठन के नेता की ओर से बुलाया गया है इसलिए अन्य संगठन रुचि कम दिखा रहे हैं ऐसा देखने में आ रहा है साथ ही कुछ चालाक किस्म के संगठन केवल समर्थन पत्र लिखकर पल्ला झाड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं लेकिन आज जरूरत इस बात की है कि किसी संगठन या व्यक्ति को नजरअंदाज करते हुए 23 फरवरी के भारत बंद को सफल बनाने का सम्पूर्ण आरक्षित वर्ग को प्रयास करना चाहिए।
ध्यान रहे 23 फरवरी का दिन आरक्षण के साथ साथ उन संगठनों के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगा कि वे अपने नाम के लिए काम करते हैं या फिर समाज के काम के लिए प्रयासरत रहते हैं।
100 बात की एक बात है कि 23 फरवरी का भारत बंद दो अप्रैल से भी अधिक सफल बनाने से ही आरक्षण बच पायेगा।
आओ हम सब मिलकर इसे सफल बनाने में जुट जायें।
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी से आरक्षित वर्ग बेहद खफा और नाराज है एवम आरक्षण को बचाने के लिए 23 फरवरी को भारत बंद करने का निर्णय लिया जा चुका है।
अब देखना यह है कि बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन संघर्ष की बदौलत मिला हुआ आरक्षण बच पायेगा या फिर हमेशा हमेशा के लिए समाप्त कर दिया जायेगा,ये निर्धारित इस बात से होगा कि यदि 23 फरवरी का भारत बंद सफल होगा या फिर असफलता की भेंट चढ़ेगा।
2 अप्रैल 2018 का भारत बंद किसी व्यक्ति या संगठन ने नहीं बुलाया था इसलिए सम्पूर्ण आरक्षित वर्ग ने बढ़चढ़कर भाग लिया था लेकिन 23 फरवरी का भारत बंद एक संगठन के नेता की ओर से बुलाया गया है इसलिए अन्य संगठन रुचि कम दिखा रहे हैं ऐसा देखने में आ रहा है साथ ही कुछ चालाक किस्म के संगठन केवल समर्थन पत्र लिखकर पल्ला झाड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं लेकिन आज जरूरत इस बात की है कि किसी संगठन या व्यक्ति को नजरअंदाज करते हुए 23 फरवरी के भारत बंद को सफल बनाने का सम्पूर्ण आरक्षित वर्ग को प्रयास करना चाहिए।
ध्यान रहे 23 फरवरी का दिन आरक्षण के साथ साथ उन संगठनों के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगा कि वे अपने नाम के लिए काम करते हैं या फिर समाज के काम के लिए प्रयासरत रहते हैं।
100 बात की एक बात है कि 23 फरवरी का भारत बंद दो अप्रैल से भी अधिक सफल बनाने से ही आरक्षण बच पायेगा।
आओ हम सब मिलकर इसे सफल बनाने में जुट जायें।