हिंदी है हम वतन की हिन्दुस्ता हमारा - योगेन्द्र गौतम


विश्व हिन्दी दिवस हर 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका प्रमुख  उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण निर्मित‍ करना, हिन्दी के प्रति अनुराग पैदा करना, हिन्दी की दशा के लिए जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को विश्व भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है। इस दिन  विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी के लिए अनूठे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
 विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित- प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था । भारत मे हिंदी दिवस 14 सितंबर को मानते है मगर विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को ही मनाया जाता है।यह हिंदी भाषा के महत्व पर जोर देने का एक दिन है जो देश में इसका महत्व खो रहा है जहां अंग्रेजी बोलने वाली आबादी को समझदार माना जाता है। यह देखना दुखद है कि नौकरी साक्षात्कार के दौरान, अंग्रेजी बोलने वाले लोगों को दूसरों पर वरीयता दी जाती है। यह पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण को दूर करने का समय है। हिंदी दीवा हमारी राष्ट्रीय भाषा के साथ-साथ हमारी संस्कृति के महत्व पर जोर देने के लिए एक महान कदम है। यह युवाओं को उनकी जड़ों के बारे में याद दिलाने का एक तरीका है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कहाँ पहुंचते हैं और हम क्या करते हैं, अगर हम अपनी जड़ों के साथ ग्राउंड और सिंक रहते हैं, तो हम अचूक रहते हैं। हम आज भी अपने बच्चो को महंगे कॉन्वेंट विद्यालयो में* इसलिए भेजते है कि हमारा बच्चा अंग्रेजी भाषा मे बात करें , हम जब किसी पार्टी और वैवाहिक समारोह  मे जब किसी परिचित से मिलते है तो हम बड़े गर्व के साथ सीना चौड़ाकर कहते है की हमारा बच्चा अंग्रेजी भाषा बहुत फर्राटेदार बोलता है। मगर वह उतने फर्राटेदार तरीके से हिंदी भाषा नही बोल पाता यह बहुत ही पीड़ादायक बात है।
 हमारी मात्रभाषा हिंदी है। अगर हम अपनी मात्रभाषा ही नही पढ़ और बोल सकते तो यह हमारे स्वयं के लिए एक शर्म की बात होगी। जिस देश मे सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, रामधारी सिंह दिनकर,  मुंशी प्रेमचंद जैसे हिंदी भाषा के सर्वश्रेष्ठ कवि और लेखक हो  उसी देश मे उसी की मात्रभाषा की इतनी दुर्गति हो वह बहुत ही पीड़ादायक बात होगी। शिकागो सम्मेलन में जब भारत की तरफ से स्वामी विवेकानंद जी ने हिंदी में अपने संबोधन "भाइयो और बहिनों"  कहकर संबोधित किया तो वहाँ मौजूद सभी लोगो ने तालियों की गड़गड़ाहट से मंच को और हिंदी भाषा के सम्मान में चार चाँद लगा दिए। उसी देश मे वर्तमान समय मे हिंदी भाषा पर अंग्रेजी भाषा अत्यधिक भारी पड़ रही है और लोगों का झुकाव भी हिंदी भाषा से कही अधिक अंग्रेजी भाषा की तरफ़ ज्यादा हो रहा है।यह एक बहुत ही चिंताजनक बात है। प्रत्येक वर्ष, ये दिन हमें हमारी वास्तविक पहचान की याद दिलाता है और हमें अपने देश के लोगों के साथ एकजुट करता है। हमें संस्कृति और मूल्यों को बरकरार रखना चाहिए और ये दिन इसके लिए एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है। विश्व  हिंदी दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें देशभक्ति भावना के साथ प्रेरित करता है।
 रिपोर्ट :
 योगेन्द्र गौतम
 नगर सवांददाता
 हिंदी दैनिक विधान केसरी
 उन्नाव

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