शहीदों की शहादत - आनंद कुमार मौर्य

"शहादत कभी बेकार नहीं जाती कम से कम वह हमें प्रेरणा तो देती ही है " यह उक्ति बिल्कुल सत्य है इतिहास साक्षी है कि महापुरुषों की शहादत के कारण ही सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्रांति हुए हैं । इन चारों परिवर्तनों में किसी भी परिवर्तन का होना मुख्य कारण महापुरुषों की शहादत ही है। इसामसीह, गैलेलियो, सुकरात, जान विकलिप आदि महापुरुषों को भी  सामाजिक क्रांति के लिए जान देनी पड़ी। हमारे देश की खोई हुई आजादी प्राप्त करने के लिए भारत माता के अनगिनत लड़के शहीद हो गये। झलकारीबाई, अजायव महतो, बिरसा मुंडा, सिद्धकानु, तिलकामांझी, शेख भिखारी, रमापति चमार, वीरभगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, खुदीराम, सुभाषचन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खां  आदि जैसे वीर बांकुरों की शहादत पर स्वतंत्रता का सुरज दमका था। इसी के फलस्वरूप हमारा देश आजाद हुआ। हमारा देश स्वतंत्र तो हुआ पर हमें केवल राजनीतिक स्वतंत्रता मिली सामाजिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता अभी लाखों कोसों दूर है भारत की 90 प्रतिशत जनता जो शोषित है उन्हें सामाजिक न्याय और सत्ता में उचित भागीदारी नहीं मिली। आधुनिक भारतीय समाज में व्याप्त वर्ण व्यवस्था, जाति व्यवस्था, छूआछूत, रुढ़िवाद, ऊंच-नीच का भेद-भाव को नष्ट करने एवं सामाजिक बदलाव के लिए महामना ज्योतिबा फूले माता साबित्रीबाई फूले अकेले ही हजारों वर्षों के अंधेरे को चीर कर  शोषित और दलितों के पुनर्जागरण के सुर्यरथ को खींचकर आगे लाये थे। फूले द्वारा जलायी गयी ज्योति ने दक्षिण भारत के सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन में एक नयी दिशा दी। जिससे वहां के दलितों एवं शोषितों में एक चेतना पैदा हुई उनके अन्दर आत्मविश्वास जगा, मनोबल बढ़ा एवं उनका  राष्ट्रीय जीवन का एक नया इतिहास बना  आज जो शोषितों में जागरण की लहर फैली है।वह महात्मा फूले द्वारा तैयार की गयी पृष्ठभूमि पर आधारित है। ब्राह्मणवाद को समाप्त करने के लिए ज्योतिबा फूले द्वारा उत्पन्न क्रांति बीजों के पल्लवित पौधों को पेरियार रामास्वामी नायकर एवं बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने सीचकर  संघर्ष को आगे बढ़ाया स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में सामाजिक सांस्कृतिक एवं आर्थिक क्रांति हुए शहीद जगदेव प्रसाद का नाम इन शहीदों में ऊपर है भीमराव आंबेडकर के जलाये हुए मशाल को  शहीद जगदेव प्रसाद ने और अधिक प्रज्ज्वलित किया शहीद जगदेव प्रसाद की शहादत के कारण ही आज  हमें सामाजिक न्याय की मांग एवं सत्ता में उचित भागीदारी लेने की प्रेरणा मिली है। उनके जलाये हुए मशाल से आज शोषण विहिन  समतामूलक समाज की स्थापना एवं सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने में हमें सहायता मिलती है।

आनन्द कुमार मौर्य समाजसेवी देवरिया।

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