अब तक आपलोगों ने सरकारों में घोटाले सुने होगें। सरकारी दफ्तरों मे घोटाले सुने या देखे होगें। लेकिन आज मै आपलोगो को सांस्कृतिक घोटाले, सांस्कृतिक चोरो के बारे मे बताउगां।
भारत के लिखित इतिहास मे भारत का प्राचीन धर्म बौद्ध धर्म है। जोकि जमीन के अन्दर और बाहर स्पष्ट देखा जा सकता है। भारत ही नही पूरी दुनिया मे सबसे प्रचीन मूर्ति तथागत भगवान गौतम बुद्ध की पाई जाती है। लेकिन कुछ साहित्यकारों ने धर्म की चासनी में डूबकर, प्रमाणित इतिहास को दरकिनार करते हुए। वैदिक धर्म को भारत का प्रचीन धर्म बता दिया। और उन्होने इतना झूठ, इतना झूठ फैलाया कि लोगो ने उनके झूठ को ही सच मान लिया। और इस तरह वो वैदिक धर्म को प्राचीन धर्म साबित करने मे कामयाब हुए। जबकि प्रचीन धर्म बौद्ध धर्म था।
उनलोगों की बातो पर कैसे विश्वास किया जाए। क्योंकि भारत मे जहां भी खुदाई होती है जमीन के नीचे बौद्धकालीन अवशेष मिल जाते हैं जबकि वैदिककाल का कोई भी प्राचीन अवशेष अबतक नही मिला। जिसकी सभ्यता प्राचीन होगी। उसी के अवशेष जमीन के नीचे मिलेगें। क्योकि धर्मग्रन्थो मे प्रचीन लिख देने से कोई प्रचीन नही हो जाता।
इस तस्वीर को ध्यान से देखिए यह एक हिन्दू मन्दिर की है सांस्कृतिक चोरो ने बुद्ध की चौमुखी प्रतिमा को शिव लिंग बना डाला। उन मूर्खो को नही पता होगा कि 21 वीं शदी के युवा अब प्रश्न करेगें। धूर्तो और कितना मूर्ख बनाओगे? जनता को बुद्ध और शिवलिंग में अन्तर समझ मे आता है।
मै दावे के साथ कहता हूं आपने जो चौमुखी ब्रम्हा की प्रतिमा बनाई है वह चौमुखी बुद्ध व अशोक स्तम्भ की नकल मात्र है। और भारत के इतिहासकारों को चैलेन्ज करता हूं कि ब्रम्हा की चौमुखी मूर्ति को बुद्धकाल से पहले की साबित करके दिखाएं । और जबतक आपलोग प्राचीन सिद्ध नही कर पाते, तब तक प्रचीन का टैग मत लगाइये।
_शाक्य बीरेन्द्र मौर्य_
भारत के लिखित इतिहास मे भारत का प्राचीन धर्म बौद्ध धर्म है। जोकि जमीन के अन्दर और बाहर स्पष्ट देखा जा सकता है। भारत ही नही पूरी दुनिया मे सबसे प्रचीन मूर्ति तथागत भगवान गौतम बुद्ध की पाई जाती है। लेकिन कुछ साहित्यकारों ने धर्म की चासनी में डूबकर, प्रमाणित इतिहास को दरकिनार करते हुए। वैदिक धर्म को भारत का प्रचीन धर्म बता दिया। और उन्होने इतना झूठ, इतना झूठ फैलाया कि लोगो ने उनके झूठ को ही सच मान लिया। और इस तरह वो वैदिक धर्म को प्राचीन धर्म साबित करने मे कामयाब हुए। जबकि प्रचीन धर्म बौद्ध धर्म था।
उनलोगों की बातो पर कैसे विश्वास किया जाए। क्योंकि भारत मे जहां भी खुदाई होती है जमीन के नीचे बौद्धकालीन अवशेष मिल जाते हैं जबकि वैदिककाल का कोई भी प्राचीन अवशेष अबतक नही मिला। जिसकी सभ्यता प्राचीन होगी। उसी के अवशेष जमीन के नीचे मिलेगें। क्योकि धर्मग्रन्थो मे प्रचीन लिख देने से कोई प्रचीन नही हो जाता।
इस तस्वीर को ध्यान से देखिए यह एक हिन्दू मन्दिर की है सांस्कृतिक चोरो ने बुद्ध की चौमुखी प्रतिमा को शिव लिंग बना डाला। उन मूर्खो को नही पता होगा कि 21 वीं शदी के युवा अब प्रश्न करेगें। धूर्तो और कितना मूर्ख बनाओगे? जनता को बुद्ध और शिवलिंग में अन्तर समझ मे आता है।
मै दावे के साथ कहता हूं आपने जो चौमुखी ब्रम्हा की प्रतिमा बनाई है वह चौमुखी बुद्ध व अशोक स्तम्भ की नकल मात्र है। और भारत के इतिहासकारों को चैलेन्ज करता हूं कि ब्रम्हा की चौमुखी मूर्ति को बुद्धकाल से पहले की साबित करके दिखाएं । और जबतक आपलोग प्राचीन सिद्ध नही कर पाते, तब तक प्रचीन का टैग मत लगाइये।
_शाक्य बीरेन्द्र मौर्य_
अच्छा लेख है
जवाब देंहटाएं👌👌👌👌👌👌👍👍👍👍👍👍
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