सांस्कृतिक घोटाला - शाक्य वीरेंद्र मौर्य

जो नदी कल तक घाघरा नाम से जानी जाती थी उसे अब सरयू नाम से जाना जाएगा। आखिर सरकार को घाघरा नाम से क्या परेशानी थी? घाघरा नेपाल से निकलती है बहराइच, सीतापुर,गोंडा बस्ती, बाराबंकी,और अयोध्या सभी जगह सिर्फ घाघरा ही नाम था महज 4 किलोमीटर की दूरी पर घाघरा को सरयू नाम से जाना जाता था।

सरयू का नाम सरयू कैसे पडा इसपर संक्षिप्त मे प्रकाश डालता हूं अन्तिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ मौर्य की हत्या के बाद पुष्यमित्र शुंग ने साकेत को अपनी राजधानी बनाया। और उस समय के बौद्धों का कत्लेआम शुरू करवाया। आपने इतिहास मे पढा भी होगा एक सर के बदले पुष्यमित्र 100 स्वर्ण मुद्राएं पुरुष्कार स्वरूप देता था। उन कटे हुए सरों को नदी मे फेकवा दिया था और लगभग 4 किलोमीटर की दूरी मे पूरी नदी सरों (नर मुण्डो) से भर गयी थी। इसलिए उस क्षेत्र को लोगो ने सरयुक्त नाम दिया। कालान्तर मे वही सरयुक्त सरयू मे बदल गया।

 अब आपके सामने पूरी घाघरा नदी का नाम बदलकर सरयू रखने की योजना बन चुकी है। और आप तब भी मूकदर्शक बने थे आज भी मूकदर्शक बने हो। आप इन परजीवियों के सांस्कृतिक षणयन्त्र, घोटाले को कब समझेगें???

शाक्य बीरेन्द्र मौर्य

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