आर्य- अनार्य अर्थात् विदेशी- मूल-निवासी का संघर्ष

आर्य यानी विदेशी,देव,सुर,सवर्ण- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य ( 15% शासक) 

मूल-निवासी यानी द्रविड़,अनार्य,दानव,राक्षस,असुर,अवर्ण,शूद्र-सछूत,अछूत,आदिवासी(85% गुलाम) 

    आज से साढ़े चार हजार(4500) वर्ष पहले आर्यों का भारत में आगमन हुआ।आर्यों और मूलनिवासियों के साथ 1800 सौ वर्षों तक लगातार युध्द चला।आर्यों ने छल- बल से भारत के मूलनिवासियों को बड़ी संख्या में युध्द में पराजित करके गुलाम बना लिया।जिसे सछूत( OBC) कहा।इनकी आबादी 52% है।
            मूलनिवासियों का कुछ हिस्सा कई वर्षों तक लगातार  आज़ादी के लिए संघर्ष करता रहा।लेकिन उनकी संख्या कम हो जाने से युध्द में पराजित हो गये।जिन्हें आर्यों ने अछूत( Sc) कहा।इनकी आबादी 15% है।
         दोनों वर्ग सछूत( पिछड़ा) एवं अछूत(अनु.जाति) आर्य राजा के गुलाम हो गए।आर्यों के राजा ने सछूतों से सेवा का काम लिया।अन्न,साग,उपजा कर देने वाला आगे चलकर कोयरी, काछी,कुशवाहा, मौर्य, मुराई शाक्य आदि कहलाया।दूध- दुहने और पहुँचानेे वाला बाद में अहीर,यादव ,ग्वाला कहलाया,तो दाढ़ी- बाल बनाने वाला   एवं देह में मालिश करने वाला हज्जाम या नाई कहलाया। पालकी ढ़ोनेवाला ,बर्तन साफ़ करनेवाला कहार कहलाया।मिट्टी का बर्तन बनाने वाला कुम्हार ( प्रजापति) कहलाया।
        लोहे के सामान बनानेवाला लोहार कहलाया।इत्यादि तरह- तरह के काम करवाए।इन सछूतों से घर से बाहर तक सेवा का काम लिया जाता था।इनका छुआ पानी भी पिया एवं खाना भी खाया।
               अछूत( अनु.जाति)आर्यों से ज्यादा दिन तक लड़ा,ज्यादा परेशान किया।युद्ध हारने के बाद उनकी सारी संपदा छीन कर विवश कर दिया गया।अछूत को ज्यादा खतरनाक समझा और इन्हें बस्ती( गांव) से दूर रखा।
      अछूत का छुआ पानी नहीं पिया।इससे हमेशा डरा रहता था कि पानी में,खाना में कहीं ज़हर न देदे।
      चमड़ा का काम कराया गया,वह चमार हो गया।नाली साफ या पाखाना साफ कराया,वह मेहतर( भंगी) कहलाया।कपड़े धोने वाला धोबी कहलाया।
       जिसका नतीजा यह हुआ कि- जिन्दा रहने के लिए वे निकृष्ट  कार्य करने को मजबूर हो गए।
     अनार्यों ( मूलनिवासी) का कुछ हिस्सा आर्यों की गुलामी स्वीकार नहीं किया।अन्त में वे बस्ती या गांव छोड़ कर जंगलों एवं घाटियों में छुप गए।जो आज तक आदिवासी कहलाते हैं।
        सिन्धु घाटी की सभ्यता से यह भी प्रमाणित होता है कि भारत के मूलनिवासी प्रकृति की पूजा करते थे।जिसमें- हवा,पानी,सूर्य और पेड़ों का विशेष महत्व था।आदिवासी कभी भी आर्योंके सम्पर्क में नहीं आए।वे आज भी अपनी पुरानी सभ्यता अपनाए हुए हैं।
   सछूत और अछूत आर्यों के गुलाम हुए।आर्यों के राजा ने जो कुछ किया, उसे मजबूर हो कर मानना पड़ा।पूजा-पाठ धार्मिक अनुष्ठान जो आर्यों ने किया, अपनाना पड़ा।
      मनुस्मृति के अनुसार ब्राह्मण विद्या अर्जन,वेद शास्त्रोंका व्याख्यान।क्षत्रिय रक्षा करने वाला तथा हथियार चलाने का कार्य करेगा।वैश्य धन इकट्ठा,खजांची का कार्य करेगा।
     आर्यों ने मनमानी शासन करने के लिए मनु नामक ब्राह्मण से कानून की किताब लिखवाया,जिसे मनुस्मृति कहा जाता है।आर्यों ने शूद्रों-( सछूत- अछूत)को सदैव गुलाम बनाए रखने के लिए मूलनिवासियों का इतिहास पहचान और सभ्यता मिटा दिया।
     अछूतों को स्थाई तौर पर गुलाम बनाए रखने के लिए कानून बना कर जनबल,धनबल,बुद्धिबल,बाहुबल और मनोबल आदि सब छीन लिया था।
     भगवान बुद्ध से लेकर बहुत सारे सन्तगुरुओं/ महापुरुषों/ क्रांति वीरों ने अपने- अपने तरीके से आज़ादी एवं हक अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया।कुछ हद तक कामयाब भी हुए।
            बहुत-बहुत धन्यवाद एवं साधुवाद बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर को जिन्होंने अपना सर्वस्व कुर्बान कर भारत का संविधान बना कर भारतवासियों को बिना किसी भेदभाव के विशेष रूप से मूलनिवासियों( सछूतों- अछूतों) को समता,स्वतंत्रता,बन्धुता,न्याय एवं ज्ञान विज्ञान पर आधारित लोकतंत्र  स्थापित किया।संविधान के अनुसार मनुवाद या ब्राह्मणवाद को समाप्त करने के लिए जातिभेद,लिंगभेद, रंगभेद कानून बना दिया।शैक्षिक,सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विकास के लिए सभी दरवाजे खोल दिए हैं।
       मूलनिवासी( वंचित,शोषित, पीड़ित एवं परिगणित) समाज यदि चाहे तो बोधि सत्व बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर के विचारों को अपना कर
एवं समाज  को संगठित कर अपना खोया हुआ सम्मान,संपदा एवं  शासन - सत्ता वापस पा सकता है।इसके अलावा कोई भी दूसरा रास्ता नहीं है।
           संविधान को न मानने वाली एवं न लागू करने वाली मनुवादी RSS की  EVM सरकार  लोकतंत्र को समाप्त कर,सरकारी संस्थाओं को खतम कर पूंजीपति,सामंती एवं रियासती पुरानी व्यवस्था कायम करना चाहते हैं।
 बहुजनों जागो।संविधान की रक्षा करो।बाबा साहब के संकल्प- दिवस न पर  आज 23 सितम्बर को संकल्प लें कि बाबा साहब के विचारों को जन- जन तक पहुंचा कर ही दम लेंगे।
पढ़ कर दूसरे को जरूर प्रेषित करें।जय भीम जय भारत जय संविधान जय विज्ञान।
       डॉ जी पी मानव
           अध्यक्ष
      मानव विकास संस्थान, उत्तर प्रदेश।

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