महराजगंज/रायबरेली: विकाश खंड क्षेत्र महराजगंज के ज्योना गांव में आजादी के बहत्तर साल बीत जाने के बाद भी गरीबों के आशियाने आज भी झोपड़ियों में तब्दील है। शायद इनकी पीड़ा सुनने या देखने वाला कोई नहीं है। जिसका खामियाजा गरीब भुगत रहे हैं। उच्चाधिकारियों की उदासीनता के चलते आज भी इन्हें पक्की छत की दरकार है। भले ही देश व प्रदेश की सरकारे विकास के दावे ठोक रही हैं, पर धरातल पर सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। अगर गांवों का निष्पक्ष सर्वे किया जाए तो जनपद के हर गांव में दर्जनों गरीब पात्र परिवार ऐसे भी हैं जिनको पक्की छतों की दरकार है। लेकिन विकासखंड में बैठे अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की पैसा कमाऊ नीति के चलते अपात्रों को तो प्रधानमंत्री आवास मिल जाते हैं लेकिन पात्र लाभार्थियों की सुनने वाला कोई नहीं है।
आपको बता दें कि, मामला महराजगंज विकासखंड मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर बसे ज्योना गांव का है जहां एक गरीब तबका विकास से आज भी कोसों दूर है। यहीं के रहने वाले दो सगे भाई हरी वनमानुष और श्रीवनमानुष का परिवार वर्षों से झोपड़ी में रहकर गरीबी का दंश झेल रहा है, ऐसा प्रतीत होता है कि, गरीबी का दंश झेलते-झेलते और प्रधानमंत्री आवास की बाट जोहते जोहते आंखें पथरा सी गई हो, शायद यह परिवार थक सा गया है।
क्योंकि, इनके पास न रहने के लिए घर है और न ही बिस्वा भर जमीन, ना कोई संसाधन जिसके सहारे इस परिवार का पालन पोषण हो सके। पूरे परिवार के जीवनोपार्जन का मात्र एक जरिया हरे पत्तों के दोना पत्तल बना कर उन्हीं को बेचकर किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रहा है। जो कि आज के आधुनिक युग में पत्तों से बने दोना पत्तलो को कोई खरीदना भी पसंद नहीं करता है।
हमारे संवाददाता से बातचीत के दौरान श्री वनमानुष भावुक हो गए जब हमारे संवाददाता ने भावुकता का कारण पूछा तो, उसकी आंखें भर आई और वह कहने लगा कि, मानो इन झोपड़ियों से उसका कई पीढ़ियों का नाता हो, इस परिवार ने कई बार ग्राम प्रधान से लेकर जनप्रतिनिधियों तक आवास के लिए गुहार लगाई किंतु, आवास नहीं मिला, आवास के नाम पर ग्राम प्रधान और उच्चाधिकारियों द्वारा सिर्फ आश्वासन ही मिला जिसे वे आज भी पूरे परिवार के साथ समेटे बैठे है और न जाने कब तक समेटे बैठे रहेंगे।
इनसैट....
मामले में जब हमारे संवाददाता ने खंड विकास अधिकारी ओम प्रकाश मिश्रा से बात की तो उनका कहना है कि, दोनों भाइयों का अतिरिक्त पात्रता सूची में नाम है। लक्ष्य आने पर उन्हें आवास मुहैया कराया जाएगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि, सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य कब तक आएगा और कब तक इंतजार करता रहेगा यह गरीब अपने सर पर पक्की छत के होने का, कब मिलेगी मुक्ति इस गरीब परिवार के सर पर बारिश की टप टप चूती बूंदों से।
आपको बता दें कि, मामला महराजगंज विकासखंड मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर बसे ज्योना गांव का है जहां एक गरीब तबका विकास से आज भी कोसों दूर है। यहीं के रहने वाले दो सगे भाई हरी वनमानुष और श्रीवनमानुष का परिवार वर्षों से झोपड़ी में रहकर गरीबी का दंश झेल रहा है, ऐसा प्रतीत होता है कि, गरीबी का दंश झेलते-झेलते और प्रधानमंत्री आवास की बाट जोहते जोहते आंखें पथरा सी गई हो, शायद यह परिवार थक सा गया है।
क्योंकि, इनके पास न रहने के लिए घर है और न ही बिस्वा भर जमीन, ना कोई संसाधन जिसके सहारे इस परिवार का पालन पोषण हो सके। पूरे परिवार के जीवनोपार्जन का मात्र एक जरिया हरे पत्तों के दोना पत्तल बना कर उन्हीं को बेचकर किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रहा है। जो कि आज के आधुनिक युग में पत्तों से बने दोना पत्तलो को कोई खरीदना भी पसंद नहीं करता है।
हमारे संवाददाता से बातचीत के दौरान श्री वनमानुष भावुक हो गए जब हमारे संवाददाता ने भावुकता का कारण पूछा तो, उसकी आंखें भर आई और वह कहने लगा कि, मानो इन झोपड़ियों से उसका कई पीढ़ियों का नाता हो, इस परिवार ने कई बार ग्राम प्रधान से लेकर जनप्रतिनिधियों तक आवास के लिए गुहार लगाई किंतु, आवास नहीं मिला, आवास के नाम पर ग्राम प्रधान और उच्चाधिकारियों द्वारा सिर्फ आश्वासन ही मिला जिसे वे आज भी पूरे परिवार के साथ समेटे बैठे है और न जाने कब तक समेटे बैठे रहेंगे।
इनसैट....
मामले में जब हमारे संवाददाता ने खंड विकास अधिकारी ओम प्रकाश मिश्रा से बात की तो उनका कहना है कि, दोनों भाइयों का अतिरिक्त पात्रता सूची में नाम है। लक्ष्य आने पर उन्हें आवास मुहैया कराया जाएगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि, सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य कब तक आएगा और कब तक इंतजार करता रहेगा यह गरीब अपने सर पर पक्की छत के होने का, कब मिलेगी मुक्ति इस गरीब परिवार के सर पर बारिश की टप टप चूती बूंदों से।