जन्म - 01 सितम्बर,1911 निधन - 07 फरवरी,1993
मान्यवर पेरियार ललई सिंह यादव बौद्धिष्ट की 108वीं जयंती के अवसर पर संविधान विरोधियों को छोड़ कर देश - दुनियां के सभी लोगों को मानव विकास संस्थान, उत्तर- प्रदेश की ओर से हार्दिक बधाई एवं मंगल कामनाएं । मान्यवर पेरियार ललई सिंह यादव साहब को कोटि कोटि नमन एवं वंदन।
विद्रोही चेतना के प्रखर नायक पेरियार ललई सिंह यादव का जन्म 01 सितम्बर 1911 को ग्राम-कठारा, थाना व तहसील रसूलाबाद, रेलवे स्टेशन झींझक, जनपद कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश (भारत) के एक समाज सुधारक समान्य कृषक परिवार में हुआ था। उन्होंने जीवन पर्यन्त विषम परिस्थितियों में समाज सुधारक के रूप में कार्य किया तथा बहुजन समाज की प्रगति के लिए अथक प्रयास करते हुए समाज में ब्याप्त अंधविश्वास व कुरीतियों को दूर करने की कोशिश की।
आप सभी लोगों के संज्ञान में यह भी लाना चाहूँगा कि द्रविड़ आन्दोलन के अग्रणी पेरियार ई.वी.रामास्वामी नायकर की किताब सच्ची रामायण को पहली वार हिन्दी में लाने व प्रकाशित करने का श्रेय माननीय पेरियार ललई सिंह यादव साहब को जाता है,उनके व्दारा इस पुस्तक का प्रकाशन करते ही भारत में तूफान उठ खड़ा हो गया था और प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया था जिसकी उन्होंने ससम्मान जीत हासिल की थी।
विद्रोही चेतना के प्रखर नायक पेरियार ललई सिंह यादव साहब का 7 फरवरी 1993 को निधन हो गया था।इस प्रकार देश ने एक महान समाज सुधारक को खो दिया था।आज हमारे समाज के बीच में भले ही न हो लेकिन हर बहुजन समाज के मन मस्तिष्क में विद्यमान हैं और उनके विचारों का अनुश्रवण कर रहे हैं तथा आज के दिन पूरे भारत में उनकी जयंती को हर्षोंउल्लास के साथ मनाते है।धन्य हो ऐसे महानायक को जिन्होंने समाज में ब्याप्त कुरीतियों व अंधविश्वास को दूर करने के अथक प्रयास करते हुए अपनी सर्वस्य चल - अचल संपत्ति लगाते हुए संपूर्ण जीवन मानवतावादी तथागत भगवान बुद्ध के दर्शन के प्रचार-प्रसार में लगा दिया। हम सभी बहुजनों को उनके त्याग,बलिदान एवं संघर्ष से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा अपने समाज को हर सम्भव आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए ।
तथागत भगवान बुद्ध के अनुयायी एवं ब्राह्मणवाद के प्रखर विरोधी मान्यवर पेरियार ललई सिंह यादव साहब को कोटि- कोटि नमन एवं वंदन।
जय भारत जय संविधान।
मान्यवर पेरियार ललई सिंह यादव बौद्धिष्ट की 108वीं जयंती के अवसर पर संविधान विरोधियों को छोड़ कर देश - दुनियां के सभी लोगों को मानव विकास संस्थान, उत्तर- प्रदेश की ओर से हार्दिक बधाई एवं मंगल कामनाएं । मान्यवर पेरियार ललई सिंह यादव साहब को कोटि कोटि नमन एवं वंदन।
विद्रोही चेतना के प्रखर नायक पेरियार ललई सिंह यादव का जन्म 01 सितम्बर 1911 को ग्राम-कठारा, थाना व तहसील रसूलाबाद, रेलवे स्टेशन झींझक, जनपद कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश (भारत) के एक समाज सुधारक समान्य कृषक परिवार में हुआ था। उन्होंने जीवन पर्यन्त विषम परिस्थितियों में समाज सुधारक के रूप में कार्य किया तथा बहुजन समाज की प्रगति के लिए अथक प्रयास करते हुए समाज में ब्याप्त अंधविश्वास व कुरीतियों को दूर करने की कोशिश की।
आप सभी लोगों के संज्ञान में यह भी लाना चाहूँगा कि द्रविड़ आन्दोलन के अग्रणी पेरियार ई.वी.रामास्वामी नायकर की किताब सच्ची रामायण को पहली वार हिन्दी में लाने व प्रकाशित करने का श्रेय माननीय पेरियार ललई सिंह यादव साहब को जाता है,उनके व्दारा इस पुस्तक का प्रकाशन करते ही भारत में तूफान उठ खड़ा हो गया था और प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया था जिसकी उन्होंने ससम्मान जीत हासिल की थी।
विद्रोही चेतना के प्रखर नायक पेरियार ललई सिंह यादव साहब का 7 फरवरी 1993 को निधन हो गया था।इस प्रकार देश ने एक महान समाज सुधारक को खो दिया था।आज हमारे समाज के बीच में भले ही न हो लेकिन हर बहुजन समाज के मन मस्तिष्क में विद्यमान हैं और उनके विचारों का अनुश्रवण कर रहे हैं तथा आज के दिन पूरे भारत में उनकी जयंती को हर्षोंउल्लास के साथ मनाते है।धन्य हो ऐसे महानायक को जिन्होंने समाज में ब्याप्त कुरीतियों व अंधविश्वास को दूर करने के अथक प्रयास करते हुए अपनी सर्वस्य चल - अचल संपत्ति लगाते हुए संपूर्ण जीवन मानवतावादी तथागत भगवान बुद्ध के दर्शन के प्रचार-प्रसार में लगा दिया। हम सभी बहुजनों को उनके त्याग,बलिदान एवं संघर्ष से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा अपने समाज को हर सम्भव आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए ।
तथागत भगवान बुद्ध के अनुयायी एवं ब्राह्मणवाद के प्रखर विरोधी मान्यवर पेरियार ललई सिंह यादव साहब को कोटि- कोटि नमन एवं वंदन।
जय भारत जय संविधान।