नागपंचमी का बौद्धिक सच..

नागपंचमी ये त्योहार दरअसल उन पाँच महान पराक्रमी नागवंशी राजाओं की याद मे मनाया जाता था जिन्होने बुद्ध संदेश को पूरे भारत भर मे पहुंचाया। उनके नाम थे अनंत, वासूकी, तक्षक, करकोटक और पांचवा ऐरावत।

नागपंचमी का संबंध "नाग" इन सांप से न होकर, नाग यह "टोटेम " पांच पराक्रमी नाग राजाओं से संबंधित है।

उनके गणतांत्रिक (republican)  स्वरुप में स्वतंत्र राज्य अस्तित्व में थे |जिसमें अनंत यह सबसे बड़ा | जम्मू - कश्मीर का अनंतनाग ये शहर उनकी याद की गवाही देता मौजूद है | उसके बाद दूसरे वासुकि नागराज ये कैलास मानसरोवर क्षेत्र के प्रमुख थे | तीसरे नागराजा तक्षक, जिनकी यादगीरी के रूप पाकिस्तान में तक्षशीला है |चौथे नागराजा करकोटक और पांचवें ऐरावत (रावी नदी के पास) | इन पांचों नागराजाओं के गणतांत्रिक राज्य की सीमा एक दूसरे से जुड़ी हुई थी |

इस क्षेत्र के लोग इन पांच पराक्रमी राजाओं की याद कायम रहे इसलिए हर साल समारोह आयोजित करते थे, वो नागपंचमी के नाम से जाना जाने लगा | इसका अनुसरण उन राज्य के अन्य प्रांतों के लोगों द्वारा किया गया | इस तरह नागपंचमी का समारोह पूरे देश में मनाया जाने लगा |

ब्राह्मणों ने अपना वर्चस्व कायम करने नागराजा को सांप में परिवर्तित किया। नाग यह अब सांपों की पंचमी हो गई और नागवंशीओं की पंचमी लुप्त हो गई। आज नाग को दूध पिलाना, उनकी पूजा करना इतना ही शेष अर्थ रह गया है नागपंचमी का | बावजूद इसके आज भी हम लोग घर की दीवारों पर पांच नाग बनाना भूले नहीं | ये पांच नाग ही हमारे पूर्व के नागराजा है। धार्मिक परिसीमा से बाहर निकल कर नागपंचमी के त्यौहार का महत्व नागवंशीओ को जान लेना चाहिए। जय नागवंशीय महान पांचों पराक्रमी नाग राजाओं की याद मे ये उत्सव मनाया जाने लगा। जिसका देश के अन्य प्रांतो ने भी अनुकरन किया।

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