नई दिल्ली 15 जून 2019: रेल सुरक्षा बल ने अवैध तरीकों का इस्तेमाल कर ट्रेन टिकट कंफर्म कराने वाले दलालों के राष्ट्रव्यापी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस सिलसिले में गुरुवार को देश के लगभग डेढ़ सौ शहरों में अलग-अलग जगहों पर छापे मार कर पौने तीन सौ दलालों को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से पचास हजार यात्रियों से संबंधित 32 लाख रुपये से अधिक कीमत के बाइस हजार से ज्यादा टिकट जब्त किए गए। सबसे ज्यादा दलाल कोलकाता और बिलासपुर में पकड़े गए हैं।
ऑपरेशन थंडर
रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक अरुण कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में 'ऑपरेशन थंडर' के तहत गोपनीय अभियान के तहत डाले गए इन छापों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से रेल टिकट आरक्षण प्रणाली में दलालों की घुसपैठ की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं। कुछ मामलों में कुछ अराजक तत्वों की गिरफ्तारी के बाद इसे गंभीरता से लेते हुए देश भर में इसके विरुद्ध कार्रवाई का निर्णय लिया गया।
करोड़ों के टिकट बेच चुके
इसके तहत विगत गुरुवार 13 जून को देश भर के 141 नगरों में 276 स्थानों पर छापे मारे गए। इस कार्रवाई में कुल 375 मामलों के तहत 387 दलालों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से 32.99 लाख रुपये मूल्य के 22,253 टिकट बरामद किए गए। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि इन दलालों ने इससे पहले भी लगभग 3.24 करोड़ रुपये मूल्य के टिकटों का अवैध कारोबार किया था।
इन सभी के यूजर आइडी को रद करने के साथ-साथ सभी जब्त टिकटों को भी निरस्त किया जा रहा है। ये टिकट जिन पचास हजार से अधिक यात्रियों के लिए जारी किए गए थे, उन्हें अब वैध तरीके से पुन: टिकट लेने होंगे। सबसे ज्यादा 51 मामले कोलकाता में दर्ज हुए हैं। जबकि दूसरे नंबर पर बिलासपुर रहा जहां 41 केस दर्ज किए गए हैं। इसी प्रकार गोरखपुर में 32, इलाहाबाद में 25, दिल्ली-एनसीआर में 30 जबकि पटना में 17 मामले दर्ज किए गए हैं।
गर्मियों का फायदा
कुमार के अनुसार स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां तथा शादी-ब्याह का मौसम होने के कारण पिछले लगभग एक महीने से ट्रेनों में आरक्षण को लेकर अत्यधिक मारामारी है। ऐसे में अराजक तत्वों के सक्रिय होने की हमें लगातार सूचनाएं मिल रही थीं, जो टिकट काउंटर एवं ई-टिकटिंग सुविधा का दुरुपयोग करते हुए फर्जीवाड़ा कर ऊंचे दामों पर रेल टिकटों की कालाबाजारी करते हैं और आम जन को टिकटों की उपलब्धता से वंचित करते हैं।
दलालों का तरीका
आरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक आरक्षित टिकट हासिल करने के लिए टिकट दलाल विभिन्न तरीकों से आइआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक करते हैं। टिकट दलाल कई नकली पर्सनल आइडी बनाकर रखते हैं। सुबह दस बजे आम यात्रियों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा ओपन होती है। जबकि सवा दस बजे से एजेंट की आइडी ओपन होती है। करीब सवा 11 बजे से स्लीपर के रिजर्वेशन टिकट एजेंट बना सकते हैं। पंद्रह मिनट के इस अंतर में ही एजेंट फर्जी पर्सनल आइडी से धड़ाधड़ टिकटों की बुकिंग करते हैं।
इसके लिए हाईस्पीड इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। जिस बीच आपका कर्सर घूम रहा होता है, उसी दौरान ये लोग कई टिकट बुक करा चुके होते हैं। इसी वजह से आपको कंफर्म टिकट नहीं मिल पाता है। यही नहीं, वेटलिस्टेड टिकट पर इमरजेंसी कोटे के तहत आरक्षण की उम्मीद रखने वाले दिव्यांग, बुजुर्ग, महिला, खिलाड़ी, सैनिक और पदक विजेता खिलाडि़यों की उम्मीदें भी इन अराजक तत्वों के कारण पूरी नहीं हो पाती।
ऑपरेशन थंडर
रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक अरुण कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में 'ऑपरेशन थंडर' के तहत गोपनीय अभियान के तहत डाले गए इन छापों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से रेल टिकट आरक्षण प्रणाली में दलालों की घुसपैठ की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं। कुछ मामलों में कुछ अराजक तत्वों की गिरफ्तारी के बाद इसे गंभीरता से लेते हुए देश भर में इसके विरुद्ध कार्रवाई का निर्णय लिया गया।
करोड़ों के टिकट बेच चुके
इसके तहत विगत गुरुवार 13 जून को देश भर के 141 नगरों में 276 स्थानों पर छापे मारे गए। इस कार्रवाई में कुल 375 मामलों के तहत 387 दलालों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से 32.99 लाख रुपये मूल्य के 22,253 टिकट बरामद किए गए। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि इन दलालों ने इससे पहले भी लगभग 3.24 करोड़ रुपये मूल्य के टिकटों का अवैध कारोबार किया था।
इन सभी के यूजर आइडी को रद करने के साथ-साथ सभी जब्त टिकटों को भी निरस्त किया जा रहा है। ये टिकट जिन पचास हजार से अधिक यात्रियों के लिए जारी किए गए थे, उन्हें अब वैध तरीके से पुन: टिकट लेने होंगे। सबसे ज्यादा 51 मामले कोलकाता में दर्ज हुए हैं। जबकि दूसरे नंबर पर बिलासपुर रहा जहां 41 केस दर्ज किए गए हैं। इसी प्रकार गोरखपुर में 32, इलाहाबाद में 25, दिल्ली-एनसीआर में 30 जबकि पटना में 17 मामले दर्ज किए गए हैं।
गर्मियों का फायदा
कुमार के अनुसार स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां तथा शादी-ब्याह का मौसम होने के कारण पिछले लगभग एक महीने से ट्रेनों में आरक्षण को लेकर अत्यधिक मारामारी है। ऐसे में अराजक तत्वों के सक्रिय होने की हमें लगातार सूचनाएं मिल रही थीं, जो टिकट काउंटर एवं ई-टिकटिंग सुविधा का दुरुपयोग करते हुए फर्जीवाड़ा कर ऊंचे दामों पर रेल टिकटों की कालाबाजारी करते हैं और आम जन को टिकटों की उपलब्धता से वंचित करते हैं।
दलालों का तरीका
आरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक आरक्षित टिकट हासिल करने के लिए टिकट दलाल विभिन्न तरीकों से आइआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक करते हैं। टिकट दलाल कई नकली पर्सनल आइडी बनाकर रखते हैं। सुबह दस बजे आम यात्रियों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा ओपन होती है। जबकि सवा दस बजे से एजेंट की आइडी ओपन होती है। करीब सवा 11 बजे से स्लीपर के रिजर्वेशन टिकट एजेंट बना सकते हैं। पंद्रह मिनट के इस अंतर में ही एजेंट फर्जी पर्सनल आइडी से धड़ाधड़ टिकटों की बुकिंग करते हैं।
इसके लिए हाईस्पीड इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। जिस बीच आपका कर्सर घूम रहा होता है, उसी दौरान ये लोग कई टिकट बुक करा चुके होते हैं। इसी वजह से आपको कंफर्म टिकट नहीं मिल पाता है। यही नहीं, वेटलिस्टेड टिकट पर इमरजेंसी कोटे के तहत आरक्षण की उम्मीद रखने वाले दिव्यांग, बुजुर्ग, महिला, खिलाड़ी, सैनिक और पदक विजेता खिलाडि़यों की उम्मीदें भी इन अराजक तत्वों के कारण पूरी नहीं हो पाती।