नई दिल्ली, जीएसऐ। रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने वाले राजनाथ सिंह सोमवार को पहले दौरे के रूप में सियाचिन ग्लेशियर जाएंगे। राष्ट्रीय राजधानी से बाहर रक्षा बेस पर यह उनकी पहली यात्रा है। इस दौरान उनके साथ थल सेना अध्यक्ष विपिन रावत भी साथ रहेंगे। यहां के वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद जवानों से मुलाकात करेंगे। साथ ही आला अफसरों से सियाचिन के रक्षा हालात और जवानों की जरूरतों की जानकारी लेंगे।
सेना के लिए क्यों अहम है सियाचिन ग्लेशियर?
-हिमालयन रेंज में मौजूद सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है। 1984 से लेकर अब तक यहां करीब 900 जवान शहीद हो चुके हैं। इनमें से ज्यादातर की शहादत एवलांच और खराब मौसम के कारण हुई।
-सियाचिन से चीन और पाकिस्तान दोनों देशों पर नजर रखी जाती है। सर्दियों के मौसम में यहां काफी एवलांच आते रहते हैं। सर्दियों के सीजन में यहां एवरेज 1000 सेंटीमीटर बर्फ गिरती है। यहां का न्यूनतम तापमान माइनस 50 डिग्री (-140 डिग्री फॉरेनहाइट) तक हो जाता है।
- यहां हर रोज आर्मी की तैनाती पर सात करोड़ रुपए खर्च होते हैं। अगर एक रोटी 2 रुपए की है तो यह सियाचिन तक पहुंचते-पहुंचते 200 रुपए की हो जाती है।
-हिमालयन रेंज में मौजूद सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है। 1984 से लेकर अब तक यहां करीब 900 जवान शहीद हो चुके हैं। इनमें से ज्यादातर की शहादत एवलांच और खराब मौसम के कारण हुई।
-सियाचिन से चीन और पाकिस्तान दोनों देशों पर नजर रखी जाती है। सर्दियों के मौसम में यहां काफी एवलांच आते रहते हैं। सर्दियों के सीजन में यहां एवरेज 1000 सेंटीमीटर बर्फ गिरती है। यहां का न्यूनतम तापमान माइनस 50 डिग्री (-140 डिग्री फॉरेनहाइट) तक हो जाता है।
- यहां हर रोज आर्मी की तैनाती पर सात करोड़ रुपए खर्च होते हैं। अगर एक रोटी 2 रुपए की है तो यह सियाचिन तक पहुंचते-पहुंचते 200 रुपए की हो जाती है।