बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में कैमूर पर्वत श्रेणी की पवरा पहाड़ी 608 फ़ीट ऊंचाई पर स्थित माता मुंडेश्वरी देवी का मंदिर है यहाँ के रहस्यों के बारे में जानने के लिए हमारी टीम जब वहाँ पहुँची तो उन्हें बताया की सदियों पुराना यह मंदिर 108 ईसवीं में बनाया गया था यहाँ के रहस्य के बारे में पता चला की इस मंदिर में अगर किसी जानवर की बलि दी जाती है तो वो जानवर बलि देने के बाद भी ज़िंदा रहता है यह कैसा चमत्कार है या रहस्य इसका पता लगाने के लिए हमारे संवाददाता प्रह्लाद गुप्ता अपने टीम के साथ धर्म की नगरी काशी से पहुँचे बिहार माता मुंडेश्वरी देवी के दरबार में
सुबह का वक्त हो चुका था मंदिर का पुजारी मंदिर के सीढ़ियों के तरफ बढ़ ही रहा था तभी उनके पीछे पीछे हमारी टीम भी चल पड़ी और जब हमारी टीम माता मुंडेश्वरी देवी धाम में पहुँचकर मंदिर का रहस्य जानने के लिए वो भी मंदिर में पहुँच गए तभी पुजारी जब मंदिर के अंदर जा पहुँचा और सुबह सुबह मंगला आरती की तैयारियाँ कर रहा था हमारी टीम उस मंदिर के गर्भगृह के अंदर पहुंचकर हर एक रहस्यों का पता लगाना शुरू किया तब जाकर यहाँ के रहस्य के बारे में कई चीजों का पता चला की इस मंदिर में अगर किसी जानवर की बलि दी जाती है तो वो जानवर बलि देने के बावजूद ज़िंदा रहता है यह चमत्कार है या रहस्य इस पूजा को आप भी देखेंगे तो एक बार हैरान जरूर हो जाएंगे सबसे पहले इस मंदिर की सीढ़ियों के ऊंचाई के बारे में अगर बात करे तो इस मंदीर की ऊंचाई लगभग 608 फ़ीट है| सदियों पुराना यह मंदिर 108 ईसवीं में बनाया गया था और इस मंदिर के निर्माण को लेकर बहुत साड़ी मान्यताएं भी है| लेकिन मंदिर में लगे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सूचनापट्ट से यह जानकारी मिलती है की यह मंदिर 635 इसवीं से पूर्व आस्तित्व में था मंदिर परिसर में मौजूद शिलालेखो से इसकी ऐतिहासिक सिद्ध होती है इस मंदिर का उल्लेख प्रसिद्द पुरातत्विद कनिंघम की पुस्तक में भी है स्थानीय लोगो के अनुसार इस मंदिर का पता तब चला जब कुछ गरड़िये पहाड़ी के ऊपर गए और मंदिर क्र स्वरुप को देखा यह मंदिर अष्टकोणीय है मंदिर में माँ मुण्डेश्वरीय देवी की एक मूर्ति है | और मूर्ति के सामने मुख्य द्वार की ओर एक प्राचीन शिवलिंग है|वैसे तो देवी माँ की हर शक्तिपीठ की अपनी एक अलग पहचान है मगर माँ मुंडेश्वरी देवी मंदिर में कुछ ऐसा घटित होता है जिसपर किसी को सहज ही विशवास नहीं होता पुजारी के अनुसार मंदिर प्रांगण में बलि की प्रक्रिया बहुत अनूठी है कहा जाता है की मंदिर में बकरे की बलि नहीं दी जाती है यहाँ बकरे को देवी के सामने लाया जाता है जिसपर पुरोहित मन्त्र उच्चारण करके चावल छिड़कता है जिससे व बकरा कुछ पल के लिए मृत्यु अवस्था में चला जाता है और जब पुजारी फूल छिड़कता है तो वह ज़िंदा हो जाता है| उसके बाद उस बकरे को छोड़ दिया जाता है| मुंडेश्वरी धाम पहुँचने के लिए मंदिर के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन भभुआ रोड मोहनिया है यह मुगलसराय -गया रेल्वेखंड लाइन पर हैमंदिर स्टेशन के करीब 25 किलोमीटर के दूरि पर है मोहनिया नसे सड़क के रास्तेआप आसानी से मुंडेश्वरी धाम पहुँच सकते है पहले मंदिर तक पहुँचने का रास्ता बहुत कठिन था लेकिन अब पहाड़ी के शिखर पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ को काटकर सीढ़ियां व रेलिंग युक्त सड़क बनायी गयी है सड़क से कार जीप या बाइक से पहाड़ के ऊपर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है|