जून के महीने मे जब अधिकांश भारत भीषण गर्मी व लू की चपेट में होता है, क्या कारण है कि आरएसएस व भाजपा के लोग 21 जून को योगा दिवस के रूप मे मना रहे हैं ।
जब हम इसके पीछे के कारणों का पता लगाते हैं तो पता चलता है कि आरएसएस के संस्थापक डाक्टर केशवराव बलराम हेडगवार की मृत्यु 21 जून 1940 को हुवी थी ।
डाक्टर केशवराव हेडगवार मोटे पेट के थे जिनकी मृत्यु 51 वर्ष मे हो गयी थी ये डायबटीज से पीडित थे, इनका योगा से कोई लेना देना नहीं था, अभी ये लोग डाक्टर हेडगवार की पुण्यस्मृति पर योगादिवस मना रहे है, भविष्य में उनकी फोटो, मूर्ति को रखकर डाक्टर हेडगवार की वैचारिकी को योगा के माध्यम से घर-घर पहुँचाने का काम करेगे
इन लोगो ने समय-समय पर इतिहास को तोडा मरोडा है, जैसे 6 दिसम्बर को पूरी दुनिया डाक्टर अम्बेडकर का परिनिर्वाण दिवस शोक के साथ मनाती है उसी दिन कुछ चालाक लोगो ने बाबरी मस्जिद गिरा दिया, अब लोग उसी 6 दिसम्बर को डाक्टर अम्बेडकर के परिनिर्वाणदिवस को भूलने लगे, बाबरी विध्वंस दिवस (शौर्य दिवस)के रूप में मनाते हैं ।
योग, साधना, विपस्यना की खोज सर्वप्रथम तथागत बुद्ध ने लगभग 2600 वर्ष पूर्व की थी तब यह शिक्षा जन उपयोगी थी, मौर्य-काल के बाद चालाक लोगो ने योगा, साधना, विपस्यना पर अपना लेबल लगाया, आज तो योगा के नाम पर लोग व्यापार कर रहें हैं, तो इतिहास के साथ छेडछाड, तिथियों के साथ छेडछाड इनका पुराना काम है, इनकी साजिश को समझिए, हमे योगा से समस्या नहीं है हमे इस तिथि से समस्या है ।
योग सहज जीवन का अंग हो सकता है, गौर से देखें तो पायेंगें कि योग मध्यम वर्ग के लिए उपयोगी हो सकता है किन्तु निर्धन वर्ग, रोज कुंआं खोद पानी पीने वाले वर्ग के लिए यह बहुत विशेष नही हैं, श्रमणशील लोगों का जीवन दिनचर्या ही पर्याप्त है उन्हें किसी योग की आवश्यकता नही होती । आवश्यकता अगर है तो विपश्यना की, प्रत्येक व्यक्ति समूह को विपश्यना की आवश्यकता है, करना चाहिए ।
केंद्र सरकार को करवाना ही है तो विपश्यना करवाये, विपश्यना के गुणों का प्रसार करवाये ।
आइये बुद्ध पूर्णिमा को योगदिवस मनाएं🙏🏻🙏🏻🙏🏻
शाक्य बीरेन्द्र मौर्य
जब हम इसके पीछे के कारणों का पता लगाते हैं तो पता चलता है कि आरएसएस के संस्थापक डाक्टर केशवराव बलराम हेडगवार की मृत्यु 21 जून 1940 को हुवी थी ।
डाक्टर केशवराव हेडगवार मोटे पेट के थे जिनकी मृत्यु 51 वर्ष मे हो गयी थी ये डायबटीज से पीडित थे, इनका योगा से कोई लेना देना नहीं था, अभी ये लोग डाक्टर हेडगवार की पुण्यस्मृति पर योगादिवस मना रहे है, भविष्य में उनकी फोटो, मूर्ति को रखकर डाक्टर हेडगवार की वैचारिकी को योगा के माध्यम से घर-घर पहुँचाने का काम करेगे
इन लोगो ने समय-समय पर इतिहास को तोडा मरोडा है, जैसे 6 दिसम्बर को पूरी दुनिया डाक्टर अम्बेडकर का परिनिर्वाण दिवस शोक के साथ मनाती है उसी दिन कुछ चालाक लोगो ने बाबरी मस्जिद गिरा दिया, अब लोग उसी 6 दिसम्बर को डाक्टर अम्बेडकर के परिनिर्वाणदिवस को भूलने लगे, बाबरी विध्वंस दिवस (शौर्य दिवस)के रूप में मनाते हैं ।
योग, साधना, विपस्यना की खोज सर्वप्रथम तथागत बुद्ध ने लगभग 2600 वर्ष पूर्व की थी तब यह शिक्षा जन उपयोगी थी, मौर्य-काल के बाद चालाक लोगो ने योगा, साधना, विपस्यना पर अपना लेबल लगाया, आज तो योगा के नाम पर लोग व्यापार कर रहें हैं, तो इतिहास के साथ छेडछाड, तिथियों के साथ छेडछाड इनका पुराना काम है, इनकी साजिश को समझिए, हमे योगा से समस्या नहीं है हमे इस तिथि से समस्या है ।
योग सहज जीवन का अंग हो सकता है, गौर से देखें तो पायेंगें कि योग मध्यम वर्ग के लिए उपयोगी हो सकता है किन्तु निर्धन वर्ग, रोज कुंआं खोद पानी पीने वाले वर्ग के लिए यह बहुत विशेष नही हैं, श्रमणशील लोगों का जीवन दिनचर्या ही पर्याप्त है उन्हें किसी योग की आवश्यकता नही होती । आवश्यकता अगर है तो विपश्यना की, प्रत्येक व्यक्ति समूह को विपश्यना की आवश्यकता है, करना चाहिए ।
केंद्र सरकार को करवाना ही है तो विपश्यना करवाये, विपश्यना के गुणों का प्रसार करवाये ।
आइये बुद्ध पूर्णिमा को योगदिवस मनाएं🙏🏻🙏🏻🙏🏻
शाक्य बीरेन्द्र मौर्य
Nice post
जवाब देंहटाएं