लखनऊ (जीएसऐ)। प्रदेश के परंपरागत उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई पहचान दिलाने और दस्तकारों को उनके घर में ही रोजगार मुहैया कराने के मकसद से शुरू की गई एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के जरिये सूबे की तस्वीर बदलने का महत्वाकांक्षी अभियान से शुरू हो गया। अभियान के जरिये ओडीओपी योजना को धरातल पर उतारने और उसे रफ्तार देने के मकसद से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में अाज से तीन दिवसीय ओडीओपी समिट का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उद्घाटन किया। समिट के दौरान राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के सभी जिलों में ओडीओपी योजना के लाभार्थियों को 1006.94 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किये।
उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने 24 जनवरी को उप्र दिवस पर लखनऊ में ओडीओपी योजना का शुभारंभ किया था। योजना के तहत प्रदेश के सभी 75 जिलों के विशिष्ट उत्पाद चिह्नित किये गए हैं जिन्हें एक नई उत्पादन और विपणन संस्कृति विकसित कर प्रोत्साहन देने का इरादा है। योजना को अमली जामा पहनाने के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट में 250 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। सूबे के समेकित विकास के उद्देश्य से तैयार की गई इस योजना को अब ओडीओपी समिट के जरिये जमीन पर उतारने की तैयारी है। ओडीओपी समिट को राष्ट्रपति के अलावा राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी संबोधित किया। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग मंत्री सत्यदेव पचौरी ने स्वागत भाषण दिया।
चार हजार से ज्यादा लाभार्थियों को ऋण : ओडीओपी समिट के दौरान प्रदेश के 4084 लाभार्थियों को 1006.94 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किये गये। इसमें से 200 करोड़ रुपये के ऋण पत्रों का वितरण राष्ट्रपति के हाथों दिये गये। बाकी 800 करोड़ रुपये के कर्ज जिलों में प्रभारी मंत्री ने बांटे। कार्यक्रम में राष्ट्रपति ओडीओपी लाभार्थियों को टूल किट भी दिया। लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से वह कुछ लाभार्थियों से योजना को लेकर उनके अनुभव की जानकारी भी ली।
होगे पांच एमओयू : समिट में राष्ट्रपति की मौजूदगी में पांच एजेंसियों/कंपनियों के साथ करार (एमओयू) होंगे। ओडीओपी के उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिए राज्य सरकार ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन के साथ अनुबंध किया। वहीं लघु उद्यमियों को बाजार से पूंजी जुटाने का जरिया सुलभ कराने के लिए मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ भी एमओयू हुये। हस्तशिल्पियों को 'जीरो इफेक्ट-जोरी डिफेक्ट सिद्धांत के आधार पर अपने उत्पाद तैयार करने में मार्गदर्शन देने के लिए राज्य सरकार क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ भी करार कर रही है। वहीं हेल्थकेयर के क्षेत्र में दक्ष कामगार तैयार करने के उद्देश्य से उप्र कौशल विकास मिशन और जीई हेल्थकेयर के बीच समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया।
वेबसाइट व टोल फ्री कॉल सेंटर का शुभारंभ : ओडीओपी के तहत चिह्नित उत्पादों के उत्पादन से लेकर बिक्री तक की जानकारी मुहैया कराने के लिए सरकार ने एक वेबसाइट विकसित की है जिसका शुभारंभ राष्ट्रपति ने किया। इसके अलावा हस्तशिल्पियों की समस्याओं के निवारण और उनकी जिज्ञासाओं के समाधान के लिए निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो के लखनऊ स्थित कार्यालय में स्थापित किये गए टोल फ्री कॉल सेंटर का भी उद्घाटन किया। समिट में राष्ट्रपति ओडीओपी उत्पादों की कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी किया। समारोह में ओडीओपी उत्पादों पर केंद्रित लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।
राष्ट्रपति ने प्रदर्शनी भी देखी : इससे पहले राष्ट्रपति इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ओडीओपी उत्पादों की प्रदर्शनी देखी। और दस्तकारों से बातचीत भी की।
जापान से हुई थी शुरुआत
एक जिला-एक उत्पाद अभियान की शुरुआत जापान में 1979 में हुई थी। जब जापान के ओइटा प्रांत के तत्कालीन गवर्नर मोरिहिको हिरामात्सु ने 'वन विलेज वन प्रोडक्ट स्कीम शुरू की थी। इस मॉडल को 2001-06 के बीच थाईलैंड में 'वन टैम्बोन वन प्रोडक्ट के रूप में अपनाया गया। बाद में दुनिया के अन्य देशों जैसे कि इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया, चीन आदि में भी इस मॉडल को अमली जामा पहनाया गया। उप्र इस मॉडल को अपनाने वाला देश का पहला राज्य है।