इंसान का अवचेतन मन -- डॉ राजेंद्र सिंह कुशवाहा

इंसान के अवचेतन मन में एक प्रबल इच्छा होती है कि उसे जो दिया गया है वह भी बदले में उतने ही मूल्य की कोई चीज लौटाए। अगर आपने किसी को उसकी कोई मनपसंद चीज दी है तो वह भी बदले में आपको कोई ऐसी चीज देना चाहेगा या कोई ऐसा काम करना चाहेगा जो आपको पसंद आए जब आप किसी पर उपकार करते हैं तो वह आमतौर पर इसका बदला चुकाने के अवसर की तलाश में रहेगा। अगर आप किसी की प्रशंसा में कोई बात कहते हैं तो वह न सिर्फ आपको पसंद करेगा बल्कि इसके बदले में आप की प्रशंसा करने की कोशिश भी करेगा। लेकिन अगर आप अलग-थलग या एकांत प्रिय दिखेंगे तो लोग आपको गैर दोस्ताना मान लेंगे और आपके साथ दोस्ताना व्यवहार नहीं करेंगे। अगर आप उदासीन रहते हैं तो लोग आपको रुखा या बेपरवाह मान लेंगे और आपके साथ भी वैसा ही व्यवहार करेंगे। अगर आप किसी का अपमान करते हैं तो उसके मन में भी बदला चुकाने की इच्छा जाग जाती है। अगर आप कोई नकारात्मक काम करते हैं तो आपको बदले में उससे भी ज्यादा नकारात्मक चीज मिलती है। बहरहाल जब आप कोई सकारात्मक काम करते हैं तो किसी न किसी मोड़ पर आपको बदले में सकारात्मक चीज मिलेगी यह प्रकृति का नियम है लोकप्रिय बनने के लिए किसी न किसी तरह लोगों को यह अहसास कराएं कि वह आपसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर आप इस तरह व्यवहार करेंगे कि आप उनसे बेहतर हैं तो वे या तो हीन भावना से ग्रस्त हो जाएंगे या फिर आप से ईर्ष्या करने लगेंगे। यह सकारात्मक संबंध बनाने के लिए हानिकारक है।

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