लगातार बच्चों की मृत्यु दर बढ़ने के कारण जब हमने डॉक्टर से बात की, कि इसका कारण क्या है? और चमकी बुखार के लक्षण क्या है? लोग ये कैसे अंतर कर पाए कि उनके बच्चे को चमकी बुखार है आम बुखार नहीं। तब मुज़फ्फरपुर के चाइल्ड स्पेश्लिस्ट डॉक्टर अरुण शाह ने बताया। चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज़ बुखार चढ़ा ही रहता है। बदन में ऐंठन होती है। बच्चे दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं। कमज़ोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है। यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है। कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटी काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा. जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है।
मुज़फ्फरपुर में मामले की जांच के लिए केंद्रीय टीम पहुंची है।
गर्मियों के दौरान ही मौतें क्यों?
डॉक्टरों की मानें तो गर्मी और चमकी बुखार का सीधा कनेक्शन होता है। पुरानें कुछ सालों के पन्नों को पलट कर देखें, तो इससे ये साफ हो जाता है कि दिमागी बुखार से जितने बच्चे मरे हैं, वो सभी मई, जून और जुलाई के महीने में ही मरे हैं। लेकिन और ज्यादा गहराई से देखेंगे तो पता चलेगा कि मरनेवालों में ज्यादातर निम्न आय वर्ग के परिवार के ही बच्चे थे। आसान शब्दों में कहें तो जो बच्चे भरी दोपहरी में नंग-धड़ंग गांव के खेत खलिहान में खेलने निकल जाते हैं। जो पानी कम पीते हैं. तो सूर्य की गर्मी सीधा उनके शरीर को हिट करती है. तो वे दिमागी बुखार के गिरफ्तार में पड़ जाते हैं।
बच्चे ही क्यों होते हैं शिकार?
एसकेएमसीएच के डॉक्टर से बात करने पर पता चला कि इस केस में ज्यादातर बच्चे ही दिमागी बीमारी के शिकार होते हैं।चूंकि बच्चों के शरीर की इम्युनिटी कम होती है, वो शरीर के ऊपर पड़ रही धूप को नहीं झेल पाते हैं। यहां तक कि शरीर में पानी की कमी होने पर बच्चे जल्दी हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो जाते हैं। कई मामलों में बच्चों के शरीर में सोडियम की भी कमी हो जाती है। हालांकि कई डॉक्टर इस थ्योरी से इनकार भी करते हैं। 3 साल पहले भी जब मुज़फ्फरपुर में दिमागी बुखार से बच्चे मर रहे थे तब मामले की जांच करने मुंबई के मशहूर डॉक्टर जैकब गए। उन्होंने भी इस थ्योरी पर जांच करने की कोशिश की, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए।
मुज़फ्फरपुर में हर साल गर्मी के दौरान बच्चों की मौतें होती हैं
कैसी सावधानी बरती जाए?
गर्मी के मौसम में फल और खाना जल्दी खराब होता है।घरवाले इस बात का खास ख्याल रखें कि बच्चे किसी भी हाल में जूठे और सड़े हुए फल नहीं खाए।. बच्चों के गंदगी से बिल्कुल दूर रखें। खास कर गांव-देहात में जो बच्चे सूअर और गाय के पास जाते हैं गर्मियों में दूरी बना कर रखें। खाने से पहले और खाने के बाद हाथ ज़रूर धुलवाएं। बच्चे नहीं मान रहे हैं तो कान पकड़ कर हाथ धुलवाएं। साफ पानी पिएं, बच्चों के नाखून नहीं बढ़ने दें। और गर्मियों के मौसम में धूप में सीधा खेलने से मना करें।
बीमारी का इलाज क्या है?
चमकी बुखार से पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। हेल्दी फूड के साथ थोड़ी-थोड़ी देर पर मीठा देते रहना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में शुगर की कमी देखी जाती है।. इसीलिए इस बात का भी खास ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को थोड़-थोड़ी देर में लिक्विड फूड भी देते रहे ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो। दूसरी तरफ डॉक्टर इस बीमारी का कारगर इलाज़ नहीं ढूंढ पाए हैं। चूंकि इस बीमारी में मृत्युदर सबसे ज्यादा 35 प्रतिशत है। इसीलिए डॉक्टर्स सावधानी को ही दूसरा इलाज बताते है।
मुज़फ्फरपुर में मामले की जांच के लिए केंद्रीय टीम पहुंची है।
गर्मियों के दौरान ही मौतें क्यों?
डॉक्टरों की मानें तो गर्मी और चमकी बुखार का सीधा कनेक्शन होता है। पुरानें कुछ सालों के पन्नों को पलट कर देखें, तो इससे ये साफ हो जाता है कि दिमागी बुखार से जितने बच्चे मरे हैं, वो सभी मई, जून और जुलाई के महीने में ही मरे हैं। लेकिन और ज्यादा गहराई से देखेंगे तो पता चलेगा कि मरनेवालों में ज्यादातर निम्न आय वर्ग के परिवार के ही बच्चे थे। आसान शब्दों में कहें तो जो बच्चे भरी दोपहरी में नंग-धड़ंग गांव के खेत खलिहान में खेलने निकल जाते हैं। जो पानी कम पीते हैं. तो सूर्य की गर्मी सीधा उनके शरीर को हिट करती है. तो वे दिमागी बुखार के गिरफ्तार में पड़ जाते हैं।
बच्चे ही क्यों होते हैं शिकार?
एसकेएमसीएच के डॉक्टर से बात करने पर पता चला कि इस केस में ज्यादातर बच्चे ही दिमागी बीमारी के शिकार होते हैं।चूंकि बच्चों के शरीर की इम्युनिटी कम होती है, वो शरीर के ऊपर पड़ रही धूप को नहीं झेल पाते हैं। यहां तक कि शरीर में पानी की कमी होने पर बच्चे जल्दी हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो जाते हैं। कई मामलों में बच्चों के शरीर में सोडियम की भी कमी हो जाती है। हालांकि कई डॉक्टर इस थ्योरी से इनकार भी करते हैं। 3 साल पहले भी जब मुज़फ्फरपुर में दिमागी बुखार से बच्चे मर रहे थे तब मामले की जांच करने मुंबई के मशहूर डॉक्टर जैकब गए। उन्होंने भी इस थ्योरी पर जांच करने की कोशिश की, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए।
मुज़फ्फरपुर में हर साल गर्मी के दौरान बच्चों की मौतें होती हैं
कैसी सावधानी बरती जाए?
गर्मी के मौसम में फल और खाना जल्दी खराब होता है।घरवाले इस बात का खास ख्याल रखें कि बच्चे किसी भी हाल में जूठे और सड़े हुए फल नहीं खाए।. बच्चों के गंदगी से बिल्कुल दूर रखें। खास कर गांव-देहात में जो बच्चे सूअर और गाय के पास जाते हैं गर्मियों में दूरी बना कर रखें। खाने से पहले और खाने के बाद हाथ ज़रूर धुलवाएं। बच्चे नहीं मान रहे हैं तो कान पकड़ कर हाथ धुलवाएं। साफ पानी पिएं, बच्चों के नाखून नहीं बढ़ने दें। और गर्मियों के मौसम में धूप में सीधा खेलने से मना करें।
बीमारी का इलाज क्या है?
चमकी बुखार से पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। हेल्दी फूड के साथ थोड़ी-थोड़ी देर पर मीठा देते रहना चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में शुगर की कमी देखी जाती है।. इसीलिए इस बात का भी खास ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को थोड़-थोड़ी देर में लिक्विड फूड भी देते रहे ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो। दूसरी तरफ डॉक्टर इस बीमारी का कारगर इलाज़ नहीं ढूंढ पाए हैं। चूंकि इस बीमारी में मृत्युदर सबसे ज्यादा 35 प्रतिशत है। इसीलिए डॉक्टर्स सावधानी को ही दूसरा इलाज बताते है।