भारत उसी प्रकार बौद्ध धर्म के सिद्धांतों पर चलने वाला देश है जिस प्रकार मोहम्मद साहब के सिद्धांतों पर मुस्लिम समाज व ईशा मसीह के सिद्धांतों को मानने वाले इसाई समाज के लोग - रामप्रसाद कुशवाहा

भारत उसी प्रकार बौद्ध धर्म के सिद्धांतों पर चलने वाला देश है जिस प्रकार मोहम्मद साहब के सिद्धांतों पर मुस्लिम समाज व ईशा मसीह के सिद्धांतों को मानने वाले इसाई समाज के लोग।
धर्म समाज के आपसी सद्भाव एवं आपस मे मिल जुल कर रहने की कला है।
ईश्वर एक शक्ति है जो सर्व मान्य है हम उस शक्ति को राम से सम्बोधित करते हैं।मुस्लिम अल्लाह या खुदा से सम्बोधित करते हैं।ईशाई समाज के लोग गाड से सम्बोधित करते हैं।
महात्मा बुद्ध, मुहम्मद साहब व ईशा मशीह मे से किसी ने भी यह नही कहा है कि मुझे सर्वशक्तिमान ईश्वर के रूप मे सम्बोधित किया जाए।
हमारे समाज के सभी लोग जाति पांति ऊंच नीच अमीर गरीब के भेद भाव से ऊपर अभिवादन राम राम या जय राम जी की करते थे।
एक दूसरे को ठाकुर के सम्बोधन से उप जाति पूछते थे।
मुंगलो तथा मराठो को लड़ाकर आर्यो ने 1713मे सत्ता हथिया ली इसके बाद समाजमे स्वर्ग नर्क, ऊंच नीच ,छुआ छूत आदि फैलाकर समाज को टुकड़ों में बांटा सामाजिक कुरीतियां उन्हीं क्षेत्रों मे जहाँ पेशवाओं (आर्य /ब्राह्मण)का शासन था जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बुंदेलखंड,आगरा व रुहेलखंड ।
अवध क्षेत्र मे किसी प्रकार की कोई कुरीतियां नही थी।
कहा जाताथा कि जिसको न दे मौला ,उसको दे आसफुद्दौला ।

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