सुरक्षा के नाम पर ठेंगा दिखाते कोलयार्ड के ठेकेदार, कलेक्टर ने जांच के दिये निर्देश
*श्रम विभाग की उदासीनता पर उठने लगे सवाल.. दफ्तर तक सिमटे अधिकारी..?
सिंगरौली:- सरकार ने भले ही बाल श्रम की रोकथाम के लिए तरह-तरह के कायदे कानून बनाए हैं। लेकिन यह कायदे कानून धरातल पर पूरी तरह से लागू नहीं हो रहे हैं। जिससे कम पैसे देकर बच्चों से मजदूरी कराने वालों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।समझ नही आता आखिर श्रम अधिकारी कर क्या रहे है..? ऐसे में श्रम विभाग की उदासीनता पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
*बरगवां कोलयार्ड में बाल मजदूरों की भरमार*
जिस उम्र में बच्चों के हाथों में किताब और पीठ पर बैग लदा होना चाहिए । उस उम्र में यह नादान बच्चे प्रदूषण और तपती दोपहरी में बरगवां कोलयार्ड में काम कर रहे हैं।
नियमों कानूनों को धता बताते हुए यह ठेकेदार बाल श्रमिको का भरपूर शोषण कर रहे हैं। वहीं अपने अधिकारों कर्तव्यों की भलि भांति जानकारी ना होने के कारण बच्चे भी कोयला उठाने को मजबूर हैं।
*सुरक्षा के नाम पर ठेंगा* *,अनभिज्ञ बना श्रम अमला*
बरगवां कोलयार्ड अस्तित्व में आने के समय से लेकर लगातार सुर्खियों में है। कोयले का काम कर रहे लोगों के पास सुरक्षा के नाम पर शरीर पर कपड़े के अलावा उनके पास ऐसा कोई भी उपकरण अथवा सुरक्षा के इंतजाम नहीं है जिससे वे अपने को सुरक्षित महसूस करें। उधर कोलयार्ड के ठेकेदारों का हौसला तो देखिए दिन के उजाले में नाबालिक बच्चों से काम करवा रहे हैं।
श्रमिक विभाग बेखबर,कलेक्टर ने जांच के दिये निर्देश
बरगवां कोलयार्ड में नाबालिग बच्चों से काम करवाए जाने के इस गंभीर विषय को लेकर जब अनोखी आवाज न्यूज़ की टीम जिला कलेक्टर केवीएस चौधरी से मुलाकात किया,जहाँ कलेक्टर ने फौरन श्रम निरीक्षक को फोन कर जांच के आदेश दिए और कहा कि यदि बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर है तो उन्हें यहां ले आओ । जांच कर मुझे बताओ। लेकिन एक बात यहां समझ नहीं आ रही है कि दिन के उजाले में नाबालिक बच्चों से काम कराने का यह कोई पहला मामला नही है,बाबजूद श्रम विभाग के जिम्मेदार दफ्तर से बाहर निकलने का नाम नही ले रहे। अब देखना यह होगा कि कलेक्टर के फरमान के बाद क्या श्रम विभाग नींद से उठेगा..?